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Showing posts from 2022

पहली तारीख पहला पन्ना

नये साल  की नयी पुस्तक  आज  पहली तारीख  का  पहला पन्ना मनचाहे सुन्दर   आकर्षक रंग  ही भरना  सुख समृद्धि  से भरपूर  रहे  जीवन  का हर सपना .. नव वर्ष  हर्षित  चेहरे  नवीनता का संदेश  मन प्रफुल्लित होगा शुभ परिवेश उम्मीदों की नयी राह  संयम,हौसलों और लगन से  नव वर्ष  को बनाना है विषेश  दुनियां मिसाल देकर  कहे  स्वयं के ही कर्म  सपनों को साकार करते हैं ....

, नये साल का स्वागत

यह किसके स्वागत में पलके बिछाए  बैठे हैं हम  झिलमिला रहे हैं सितारे  गुनगुना रही है पवन  खिल रहे हैं चमन .. हाथ में लिए  जादू की छडी आने वाली है कोई  परी  नव उर्जा, नव उत्साह के संग  नेत्रों में लिए खुशियों के रंग  स्वागत  में पलके बिछाये बैठे हैं हम. आने वाला है नव वर्ष  खिल रहा है चेहरों पर हर्ष बेहिसाब  स्वर्णिम  हो नव वर्ष  का हर पल  एक बार  फिर  मिला है सुनहरा मौका  लेकर  कलम कुछ  सुनहरे रंग  सजा लो ..मन चाहे रंग  रंग जो तुम भरोगे उसी से संवरेगा आने वाला कल ... खुशहाल  हो जीवन का हर  पल  शुभ मंगल कामनाओं से भरपूर  हो नववर्ष  का हर पल  ...  

आधुनिकता बनाम अंधी दौङ

 आधुनिकीकरण  का युग है ... नासमझी का दौर है  आधुनिकता बनाम अंधी दौड़ ... आंखो पर काला चश्मा  कानों पर लगा हेडफोन  आङी- तिरछी कटी- फटी पोशाकें पहनने पर जोर है ... आधुनिकता का दौर है  समझदार हैं सब.. हर ओर शोर है  भागने की होड़ है .. तन- मन- धन  दांव पर लगाने की होङ है .... संस्कति- संस्कारों को बंधन मान  खुद को तबाही पर पहुंचा   जानवरों सा जीवन  जीने को मचाता शोर है .. आपस मे  ही कट- पिट कर  मर जाओगे .. जानवरों को पिंजरों में  कैद करने को आने को नयी भोर है ..

उचांइयां

आज बङी शान  से चलते हो जिन रोशन राहों पर .. उस रोशनी पर सिर्फ अपना हक नहीं समझना  कई  चिरागों ने जलकर स्वयं को स्वाहा किया होगा   उन राहों को रोशन करने के लिए  .. पहचान  तुम्हारी यूं ही नहीं  हवाओं मेॅ अपनी महक फैला रही है  कहीं किसी ने अपने जीवन  के कई वर्ष  लगा दिए होगें.. तुम्हें कामयाब  बनाने  और खुद कुछ नहीं सा खुश है  तुम्हारी पहचान मेॅ अपनी खुशी पाने के लिए  ... अपना क्या कुछ  भी नहीं अपने सपनों को  साकार किया है तुममे ..तुम किसी का सपना हो  किसी के संघर्षो  की किसी के अस्तित्व को पल- पल  स्वाहा होना पङा होगा .... आज वो जो तुम्हें कुछ नहीं से नजर आते हैं  तुम्हें तुम्हारे मुकाम तक पहुंचाने के लिए.. कितनी बार  झुके होगें तुम्हें उंचाई पर पहुंचाने के लिए  .. सदा आदर करना सम्मान देना   वो बहुत मिटे हैं तुम्हें कामयाब  बनाने के लिए  ... कई  बार  हंसी का पात्र बने हैं बेफिजूल के कामों को  मिसाल बनाने के लिए  ...

ऋषिकेश यात्रा

 ऋषियों की तपस्थली ऋषिकेश भारत का स्वर्ग..  जी हां आपको यकीन  नहीं होगा ..त्रेता युग में पांडवों ने यहीं से अपने स्वर्ग  जाने की यात्रा प्रारम्भ की थी... तो आइये आपको ॠषिकेश के पवित्र स्थलों की यात्रा करवाते हैं .... गंगोत्रि ... में गौमुख  से प्रवाहित मां भागीरथी अनेक पहाडी स्थलों से होती हुयी .. सर्वप्रथम  मैदानी स्थल ऋषिकेश से ही होकर  हरिद्वार आदि भारत  के अनेक  राज्यों में बहती है ... सर्वप्रथम  ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट .. कहते .हैं त्रिवेणी घाट पर तीन  नदियों का संगम  होता है ..गंगा .अलकनंदा और सरस्वती इसलिए  इस घाट का नाम  त्रिवेणी घाट  रखा गया ... त्रिवेणी घाट  की संध्या कालीन  आरती बेहद ही अच्छी होती मन भक्ति के रंग में रंग जाता है .... त्रिवेणी घाट  आरती का दृश्य....

उत्तराखंड

 देवभूमि उत्तराखंड  की पवित्र  धरा पर स्थित  *धारी देवी मंदिर *  जय माता दी  उततराख राज्य का श्रीनगर शहर पवित्र  पहाडियों मेॅ स्थित  पवित्र  पूजनीय  सिद्ध देवी* एक बार  श्रद्धा से किये गये दर्शन मात्र से मां *धारी देवी मां* ऋद्धि  - सिद्धियों से झोली भर देती हैं....

देना सीखो

अपूर्णता से पूर्णता की चाह  मानों खाली गुल्लक में खजाने की खोज  सन्तुष्ट  जीवन का एक राज ... पाने की नहीं देनी की सोचो देना शुरू कर दो .. मांगने की आदत  छूट जायेगी  पौधों को जल दो  नदिया के जल को  दूषित होने से बचाओ  भूखे को अन्न  दो ... अशिक्षित लोगों को शिक्षित  करो  निसंदेह जो देना सीख गया .. वो कभी मांगेगा नहीं  क्योकि  वो वस्तुओं  का महत्व  समझ जायेगा  और पूर्णता का अनुभव करेगा ...  लेने से बेहतर  देना सीखो ... जीवन  में आगे बढना हो तो   देना सीखो ...प्यासे हो तो  नलकूप  लगाओ .. तन तंदुरुस्त  होगा मन तृप्त  होगा ..

ठहराव के लिए

बेवजह उलझता इंसान  जीवन  भर अटकता है  आगे बढने के लिए   भटकते मन के साथ   भटकता इंसान  जीवन भर भटकता रहता है  एक ठहराव  के लिए   जिद्द  हो आगे बढने की  कभी हार  ना मानने की  हर बाधा से ले जाने की रास्ते मिल  ही जाते हैं 

सुप्रभात

 *सुप्रभात* तन स्वच्छ हो  मन निर्मल  हो  शुभ साकारात्मक  व्यवहार  से  समाज को देते रहें खुशियों की सौगात **** गंगा जल की पवित्रता  तन पवित्र  कर जाये  गीता ज्ञान का प्रकाश  मन के भेद मिटाये ***** घूंट _ घूंट पी राम नाम   का अमृत  ,, मन वाणी अमृत  ही बरसाये...

दीपों की बारात सजी है

दीपों की बारात सजायी .. मन में खुशी की बजी शहनाई  देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....  शुभागमन देवों का  स्वागत के शुभारंभ में  बंदनवार सजाये ..   सुन्दर आकर्षक रंगोली आंगन में बनायी  दिवारों पर चमकीली झालरें लटकायीं  आलों में दीपक जलाये  अदिति सत्कार में पकवान बनाये  कुछ स्वादिष्ट मिष्ठान बाजार से ले आये देव आगमन श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में  राहों में अपनी पलकें बिछाई  अमावस्या की रात थी चन्द्रमा भी छुट्टी पर था ..  जगमगाते दीपकों के प्रकाश से सारी नगरी जगमगवायी  कुछ आतिशबाजी भी आसमान की ऊंचाईयों में जगमगवायी ... देव आगमन में हमने दीपकों के प्रकाश से थाली भी सजायी ..  मानों सितारों की मण्डली हो धरा पर हो उतर आयी ... श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में हमने दीपावली मनायी  चेहरों पर खुशी की फुलझडियां खिलायीं‌ ... यूं ही जगमगाती रहे जीवन में खुशियों की फुलझडियां  ऋद्धि - सिद्धि .. सुख - समृद्धि से सम्पन्न हो‌ जीवन का हर पल ... देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....  

त्यौहार जीवन आनंद

त्यौहारों आते हैं, समाज में शुभ साकारात्मक संदेश लाते हैं...  तय + औ + हार ... तय समय में किये गये शुभ कार्य जो जो युगों - युगों तक समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन पूजनीय हो गये .... जीवन जीने का संदेश दे आनंद बन गये ... त्यौहारों का संदेश ऐसा जीवन जीना कि समाज युगों - युगों तक याद करें पूजा करे एवं स्वयं को कृतज्ञ करें  .  त्यौहार उत्सव हैं ,मंगल बेला का शुभ संदेश है ... त्यौहार बंधन नहीं ..  त्यौहार तो जीवन का आनंद है .... शुभ संकेत है ...  देश , परिस्थिति और काल के अनुसार जीवन में शुभ साकारात्मक प्रेरणास्पद कर्म करने का . ‌.. त्यौहार जीवन में रंग भर एक नयी उर्जा प्रदान करते हैं  त्यौहार जीवन में उत्साह एवं उमंग की शुभ तरंगें लेकर आते हैं .. ... और संस्कृति और  संस्कारों का दर्शन कराते हैं.... प्रत्येक त्यौहार स्वयं में एक विशेष महत्व लिए होता है... कोई ज्ञानवर्धक संदेश... समय ,काल  एवं परिस्थितियों का परिवेश ... लिए विशेष महत्व को दर्शाते हैं‌ हमारे त्यौहार ... त्याग, तपस्या बलिदान‌, एवं कोई ना कोई प्रेरणा दायक संदेश अवश्य देते हैं हमारे त्यौहार  ... त्यौहार + तय + औ + हार .... तय समय म

दीपावली

आओ इस बार दिवाली कुछ अलग अंदाज में मनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं   चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते है  बंदनवार सजाते हैं रंगोली बनाते हैं ... इस बार दिवाली की सफाई में मन में छिपे सारे.. शिकवे - शिकायतों की गंदगी हटाते हैं  आओ हम सब मिलकर अपने-अपने दिलों में परस्पर के प्रेम के दिये जलाते हैं , अमावस्या की रात में रोशनी का माहौल बनाते हैं  आतिशबाजी से आसमान जगमगाते हैं   प्रकाश का उत्सव मनाते हैं .. अपने प्रभु ईष्ट के स्वागत में द्वार - द्वार दीपक का प्रकाश कर वातावरण को शुद्ध साकारात्मक बनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं चेहरों पर  हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं  परस्पर प्रेम का संचार शुभकामनाओं के उपहार देते जाते हैं .....  इस बार दिलों के अंधकार मिटाते हैं  निस्वार्थ प्रेम से अपनत्व के बीज बोते जाते हैं ... चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं .....

नवदुर्गा

नव दुर्गा हूं नौ रुपों में  घर- घर पूजी जाती हूं  मां गौरी की महिमा भक्तों को बतलाती हूं  कन्या रुप में जन्म लेकर मैं ही तो सबके घर आती हूं  सौभाग्य शाली हैं वो जन होते जो मेरी महिमा गाते हैं  सृष्टि की आधार शिला हूं .. शक्ति मैं कहलाती हूं  महागौरी और महाकाली भी मुझमें ही तो समाती है  समस्त जगत की आधारभूता हूं  सरस्वती ,लक्ष्मी जन- जन की पालनकर्ता  मैं शक्ति रुपा शकिस्वरुपा  मैं ही कन्या रुपा मां गौरी कात्यायनी हूं  समस्त जगत का भार उठाती  बोझ समझ जो पीछा छुड़ाते  अपने भाग्य को स्वयं सुलाते  ऋद्धि - सिद्धि के भंडारे मुझमें ही तो बसते हैं मां की महिमा को मानकर  मां का स्वागत करते हैं  मन- मंदिर में सच्ची श्रद्धा से जो‌  मां की भक्ति करते हैं  जगत जननी की कृपा से धन्य - धन्य हो जाते हैं ।।  

खूबसूरत मन

 वक्त के रंग में रंग जाया करो   हर रंग तुम्हें .. तुम्हारी पसंद का मिले   यह तो मुमकिन नहीं .... जो रंग मिले उसे अपनी पसंद बनाया करो  क्या पता तुम उस रंग ही में बेहतरीन लगो  जो रंग तुमने पाया है  हर रंग में तुम रंग जाया करो‌... सभी रंग तो अपने हैं..  जीवन के सुन्दर सपने हैं  कोई रंग मिले भद्दा तो उससे कर किनारा  आगे बढ़ जाया करो  बेवजह ना सोचने में वक्त जाया करो  ज़िन्दगी को खूबसूरत रंगों से सजाया करो  जो रंग मिले उसमें रंग जाया करो  भीतर श्वेत निर्मल रंग को समाया करो  सभी रंग तो अपने हैं  जीने के ढंग अपने हैं‌  देख हर रंग मुस्कुराया करो  खूबसूरती मन में होती है ‌‌‌‌‌सबको यह बात बताया करो ।। 

मौसम ( बदलता वक्त)

 मौसम ने भी बदली करवट  मेघों ने आकाश को घेरा ..   * मौसम  बोला *  बिन मौसम बरसूंगा  जी भर कर बरसूंगा  तुम बदले ... वक्त बदला   दुनियां के रूप बदले   जीने के ढंग बदले   तो मैं क्यों ना बदलूंगा  तुम से ही जुड़ा हूं  करनी पर तुम्हारी ही तो टिका हूं  सब बदल रहें हैं तो मैं क्यों ना बदलूं   मैं तो मौसम हूं यूं भी बदलता हूं वक्त के दौर के साथ करवट बदलता हूं  फिर ना कहना ... बदल रहे हो  ऐ मनुष्य तुम्हारे जीने का ढंग बदला  मेरा भी समय बदला .... देर - सवेर ही सही  लौट कर आ ही जाता हूं ... मैं मौसम हूं  प्रकृति का पुजारी हूं .. वसुन्धरा पर अपने जलवे दिखाता हूं ... रहता हूं सदा समर्पित .. मेरा अस्तित्व है सृष्टि को समर्पित  सृष्टि जो बदलेगी तो बदलाव मौसम में तो अवश्य आयेगा ।।

आगे की ओर

सब कुछ लौटकर आता है  एक अंतराल के बाद  अपनी प्रतिक्रिया निभाकर  जल ... कैसे रूक जाऊं  क्यों थक जाऊं  आगे बस आगे की ओर  बढ़ना ही तो मेरा लक्ष्य है  समा लेता हूं समर्पित तत्व बहा ले जाता हूं आगे की ओर  किनारों पर पहुंचा  भीतर समस्त निर्मल  नियति ही मेरी ऐसी है भीतर की ऊर्जा प्रेरित करती है   स्वभाव से निर्मल हूं शीतल भी हूं  वातावरण को नम रखता हूं  वाष्प बनकर मेघों का रूप भी धरता हूं  आकाश की ऊंचाईयों को छूने की कोशिश करता हूं ‌ फिर एक दिन धरती पर ही बरस जाता हूं  मैं नदिया का बहता जल हूं बूंद -बूंद बनकर वर्षा ऋतु में अपने अस्तित्व जल में मिलकर जलमग्न हो बहती सरिता हो जाता हूं .... सरल समझ धोखा मत खाना  बाहर से शीतल हूं .. भीतर एक आग लिए बैठा हूं  मैं नदिया का बहता जल हूं मैं  सत्तर प्रतिशत मनुष्य प्राणों में भी होता हूं  मैं जल हूं मैं तरल हूं मैं जीवन दान हूं  मेरा संरक्षण करोगे तो जीवन का सुख पाओगे ...

हथौड़ा

 हथौड़ा भी रोता है  मार- मार के चोट वो भी  कहां चैन से सोता है  तोड़ - तोड़ के वो भी बहुत बिखरता है  नियति में उसके जब लिखा ही है चोट देना  तोड़ने में औरों को  उसकी भी तो अपनी जड़ें हिलती होंगीं    दर्द किसी और का.. लहू का मर्म उसने भी सहा होगा हथौडें से टूटे टुकड़ों को जब किसी ने जोड़ा होगा  सुन्दर कलाकृति बना द्वार बनाया होगा  तब जा के हथौड़े को चैन आया होगा   निखरने के लिए .. बिखरने के दर्द को भुलाया होगा  मरहम बन सुरक्षा द्वार का सुख पाया होगा ... ऊंचे शाश्वत देवालयों में दर्द को मरहम बनाया होगा  हथौड़ा भी कहां चैन से सोता है  मार- मार के चोट वो भी अपनी जड़ों से हिलता है ...  

हिंदी शाश्वत भाषा

  हिंदी है वीणा के तार जिस पर सुर के सजे असंख्य तार  संस्कृत से उपजी ... वेदों की भाषा हिंदी है देवों की भाषा  हिंदी ने कई युग देखे संस्कृति को परखा सभ्यताओं को संजोया  हिंदी मेरी मातृभाषा मेरी पहचान  मेरी भाषा मेरा आत्मसम्मान  मां सी ममता मिलती है  जब - जब भावों को व्यक्त किया  हिंदी अपनी मीठी भाषा  शाश्वत सनातन पवित्र भाषा  विविध परम्पराओं और संस्कृति को जिसने सांचा  संस्कृत का सरलतम व्यवहार  हिंदी ने लिया आधार  हिंदी कहे दिव्य ज्ञान की बातें  अंकित हैं हिंदी में ही वेद, ग्रन्थ उपनिषद  रामायण ,श्रीमद भागवत गीता का दिव्य पवित्रम ज्ञान  मिलता है हिनदूस्तानी होने का सम्मान  हिंदी भाषा पहचान मेरी  भावों को जिव्हा पर लाने को हिन्दी  के मुझे शब्द मिले शब्दों ने मेरे विचारों को जब गढ़ा .पंखो ने ऊंची उड़ान भरी ...  हिन्दुस्तान में जन्मी हिन्दू हिन्दुस्तानी हुई  हिंदी की जिव्हा पर चढ़ी रस धारा हिंदी मेरी दिव्य भाषा ने गद्य - पद्य में संसार को दी अमृत रसधारा  धरती पर जब तक अस्तित्व रहेगा हिंदी भाषा का सुर्य अपने ओज से धरा पर अपनी संस्कृति का प्रकाश करता रहेगा.....

गणपति बप्पा मोरया

  Ritu asooja rishikesh  11 सितंबर 2022 को 8:20 pm श्री गणेश हम सब के ईष्ट हम सब के माता- पिता ..आप सब एक बार सोचकर देखिए आपके बच्चे किसी विशेष अवसर पर आपकी प्रतिमा लाकर उस पर खूब साज- सज्जा करके  बेहतरीन पुष्प सज्जा करवाकर बहुत अच्छे से कुछ दिन आपकी मूर्ति की पूजा - अर्चना कर ..पांच दिन बाद लाखों रूपए खर्च करके सिर्फ दिखावे के नाम पर .. आपकी... मेरी...   या किसी और किसी की भी मूर्ति ... या फिर हमारे ईष्ट देवी-देवताओं की मूर्ति ही क्यों ना हो ..तो सोचिए आपको कैसा लगेगा ... माफ़ करना छोटा- मुंह बड़ी बात कह दी .. मेरे शब्दों से किसी को आहत हुआ हो तो क्षमा प्रार्थी ... लेकिन ज़रा सोचिए .. जागरूकता अतिआवश्यक है ... श्री गणपति जी सर्वप्रथम पूजनीय ईष्ट हैं .. उनकी मन से पूजा- अर्चना कीजिए .. अच्छा सोचिए अच्छा करिए ..और सबका भलाई के काम करते जाइए .. निःसंदेह श्री गणेश सदैव हम सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखेंगे ....    गणपति विसर्जन के समय गाते हैं –गणपति बप्पा मोरया , अगले बरस तू जल्दी आ ..मैं कहती हूँ हे देव अगले बरस आकर अपने भक्तों को समझाना भी कि उत्सव के साथ साथ सामाजिक शान्ति और नियमों

धुएं की गुलामी

मार्डन कहलाने की लत जो लगी  धिक्कार .... शर्मसार ...गुलाम होते विचार  स्वयं का स्वयं पर ही नहीं अधिकार .... स्वयं के नाश का अंधा बाजार  झूठी गुलामी की बेड़ियां   मौत के सामान का अंधा बाजार  ना कोई अपना ना पराया  धुएं में ढूंढते खुशियों का संसार  क्या बनाओगे अपनी तकदीर  जब गिरफ्त में हो धुएं की गुलामी की जंजीर  लौट आओ ... धुएं के गुबार से वरना एक दिन आयेगा  धुएं की गिरफ्त में फंसे नौजवानों  आज तुम धुएं को स्वयं में समाते हो  कल जब धुआं तुममें  अपना घर बना लेगा  फिर कुछ ना बच पायेगा  पछतावे के सिवा कुछ भी हाथ ना आयेगा  मार्डन कहलाने का सारा भूत उतर जायेगा  धुएं में सब स्वाहा हो जायेगा ...

आधुनिकता का अंधकार

मेरी ज़िन्दगी मेरी मर्जी  वाह रे! पढ़ें लिखे मूर्खो.. गुलाम होते मूर्खो  स्वयं को समझ होशियार लेते हो धुम्रपान के नशे का आधार तुम्हारी गुलामी का इकरार ..  कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार ..  मार्डन कहलाने की लत जो लगी है  आधी- अधूरी..आड़ी -तिरछी ,कटी- फटी पोशाकें  धुम्रपान के जहरीले धुऐं को अपनी सांसों में समाता   स्वयं को आधुनिक दर्शाने की होड़ में  स्वयं के ही मौत का मौहाल तैयार करता  गिरता- फिरता - स्वयं की चाल भी ना सम्भाल पाता  होशियार बनने का दिखावा करता ..   अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता  स्वयं की तबाही का मंजर बनाता  आंखों पर बांधे आधुनिकता की पट्टी  आज का युवा स्वयं मे जहरीले धुएं को भी समाने से   परहेज़ नहीं करता ... माने है.. जाने है.. कहे है‌.. धुम्रपान की लत  तुम्हारी गुलामी का इकरार .. कमजोर मानसिकता का  झूठा ..  जहरीला ... बदनुमा ... अंधकार .. मत कर स्वीकार नशे का अंधकार ..  कमजोर मानसिकता का  का झूठा हथियार कर रहे। स्वयं ही स्वयं पर अत्याचार मार्डन कहलाने की लत जो लगी है  आज का युवा आधुनिकता की दौड़ में आधुनिक दिखने.. और आधुनिक दिखाने की होड़

हवाओं में घुला हो जहर

 हवाओं में घुला हो ज़हर   तो मैं जी नहीं सकता  हां - हां मुझे फर्क पड़ता है  क्योंकि मैं इस समाज का हिस्सा हूं  मानवीय गुणों के कुछ संस्कार मुझमें भी जीते हैं  नहीं - नहीं मैं धृतराष्ट्र नहीं ... दुर्योधन मैं हो नहीं सकता  धिक्कारती है आत्मा मेरी मुझी को मैं स्वार्थ में अंधा हो नहीं सकता  जीता हूं परमार्थ के लिए.. मैं सिर्फ अपने ही लिए तो जी नहीं सकता सिर्फ अपने लिए तो मैं मर भी नहीं सकता  नहीं शौंक मुझे कुछ होने का  किसी के लिए कुछ होने से मैं स्वयं को रोक नहीं सकता  मेरी वजह से कोई आगे बढ़े तो मैं सौभाग्यशाली हूं  मैं खाली हाथ आया था ... भावों का पिटारा साथ लाया हूं  विचारों के हीरे - मोती हैं .. तराशता हूं अमूल्य रत्नों को और समाज में बिखेर देता हूं .. जौहरियों के भी मैं कम ही समझ आता हूं ... अक्सर राहों पर‌ भटकता पाया जाता हूं...  क्या करूं साधारण सा इंसान जो हूं ....

साधारण हूं इसीलिए असाधारण हूं

 कभी भी किसी को हल्के में मत लेना हर कोई भीतर एक ज्वाला लिए बैठा है  साधारण हूं इसीलिए तो असाधारण भी हूं  आज के युग में साधारण होना भी कोई आसान नहीं  साधारण हूं क्योंकि सब समझ जाते हैं  असाधारण इसलिए की सब ऊपर से देखते हैं  भीतरी की गहराई जान नहीं पाते हैं   सरल हूं ..  तरल भी हूं  देता सबको शीतलता हूं ‌‌‌‌‌‌‌ भीतर एक ज्वाला लिए बैठा हूं  मुझसे खिलवाड़...मत करना  भीतर मेरे भी है हथियार .... सरल हूं तरल हूं निश्च्छल हूं  मेरी सरलता ही मेरी पहचान है  मेरी आन -बान और शान है  मैं शाश्वत हूं क्योंकि मैं सत्य हूं  मेरे अस्तित्व से छेड़छाड़ भूल होगी तुम्हारी  छल कपट के यंत्रो की रफ्तार भले ही जोरदार  अंत जब होगा तब ना रहेगा नामोनिशान ....
 गीता ज्ञान से जीने की कला सीखा गया  उन्हीं नटखट नंद किशोर का  अधरों पर मधुर मुस्कान लिए   दिव्य अलौकिक प्राकट्य उत्सव आ गया .. .श्री कृष्ण जन्मोत्सव की अनंत शुभकामनाएं एवं बधाई

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी कम पढ़ जाये कुछ ऐसा जीना सिखा दो ‌ ज़िन्दगी भर जीने की वजह मिलती रहे कुछ ऐसी राह दिखा दे ... ज़िन्दगी भर जिन्दगी में कुछ ढूंढता रहा  ज़िन्दगी जीने के लिए.. ज़िन्दगी मिली भरपूर मिली  ज़िन्दगी फिर भी पूरी ना मिली ज़िन्दगी जीने के लिए जो स्वयं ही पूरी नहीं ऐसी अधूरी सी जिन्दगी से कुछ चाहता रहा ज़िन्दगी भर पूरी जीने के लिए  ..... ऐ जिन्दगी मुझे जीना सीखा दे  जिंदा हूं इसलिए जीता हूं  जीवन जीने के लिए जीता रहूं...  जीने के लिए जीना सिखा दे 

आजाद तिरंगा

#आजाद तिरंगा बादशाह तिरंगा # लहर - लहर लहराये तिरंगा   अमृत महोत्सव आजादी का मनाये तिरंगा  भारत माता की जय -जयकार सुनाये तिरंगा  दिलों में अमृत भर-भर आता  भाईचारे का रिश्ता हर कोई अपनाना  भारत माता का सम्मान तिरंगा  यूं ही सदा नील गगन की ऊंचाइयों में  लहर -लहर लहराये तिरंगा  गीत खुशी के गाये तिरंगा   आत्मसम्मान के यशगान सुनाता भारत माता के जयकारों से वायुमंडल भी  हर्षाता .. रंग केसरिया शौर्य भारत का  श्वेत सुख- शांति का सूचक  हरा .. हरियाली सुख- समृद्धि का परिचय देता  *भारत माता* का स्वाभिमान *तिरंगा*  स्वतंत्रता का आगाज  #तिरंगा * जीत तिरंगा विश्वास तिरंगा  आत्मसम्मान तिरंगा  चेहरों की मुस्कान तिरंगा  स्वाभिमान तिरंगा ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌  खिले- खिले चेहरों की मुस्कान तिरंगा  स्वतंत्रता का आगाज तिरंगा  प्राणों से भी बढ़कर प्यारा तिरंगा  भारतीयों का आत्मसम्मान तिरंगा   

प्रश्न और उत्तर

*कठिन प्रश्नों के हल भी अक्सर  उन्हीं को दिये जाते हैं,जो हर हाल में  उन प्रश्नों के हल ढूंढ ही निकालते हैं  और दुनियां में एक मिसाल कायम करते हैं *.... *सम्भल कर जरा संसार की कर्मभूमि में तुम्हारे कर्म ही तुम्हारी खेती हैं .. वही बोना  जो अच्छा हो ...क्योंकि लौटेगा वहीं जो बोया है *    * किसी भी मनुष्य के कर्म उसके द्वारा बोये गये  बीज हैं जैसे बीज रौपे जायेंगे वैसी ही फसल होगी *

* फुहार*

रिमझिम सावन की फुहार आयी  मन मतवाला झूमें चेहरे पर खुशी लहरायी नींद खुली मन ने ली अंगड़ाई  नयी सुबह की नयी खुशियां आयीं  मन में उत्साह का नया रंग भरा  झूला झूलन की रूत ‌‌‌आयी‌  बिंदिया, कंगना , बिछिया,पायल के  घूघरूं खनकाती सखियां आयीं‌  चलो सखियों झूला झूलन की रूत आयी‌  ऊंची - ऊंची पींगें लेंगे नील गगन से कुछ बातें होंगी बादलों की घुमड़ - घुमड़ में दामिनी भी इतरायी   ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌सावन की ठंडी फुहार आयी मन में  नया उत्साह भर प्रकृति भी सोलह श्रृंगार कर‌  वसुन्धरा में  हरियाली भर - भर अपने जलवे दिखा रही  रिमझिम सावन की फुहार आयी .. वसुन्धरा का करने सोलह श्रृंगार आयी . ‌‌..., रिमझिम सावन की फुहार आयी ...   

वृक्षों से जीवन

 पर्यावरण को बचाना हमारा परम कर्तव्य है .. पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो धरती पर मनुष्य जीवन सुरक्षित रहेगा ... पौधै लगायें ...और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से बचायें.. मनुष्य को जीने के समस्त साधन वृक्ष और पेड़ पौधे ही देते हैं ... यहां तक की वृक्ष  जहरीली कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर मनुष्यों को जीवित रहने के लिए प्राणवायु आक्सीजन भी देते हैं .. वृक्ष हमें फल देते फूल देते हैं .. वृक्षों से कई औषधिय तत्व भी प्राप्त होते हैं .. वृक्ष हमें छाया भी देते  वृक्षों के अनगिनत लाभ हैं ...  वृक्ष जीवन आधार है .... प्रकृति से ही रचा- बसा सुन्दर संसार है .. प्रकृति यानि .. नदियां‌.. पहाड़.. पेड़  पौधे फल- फूल इत्यादि ...  प्रकृति का संरक्षण अति आवश्यक है ... आओ धरती मां का करें श्रृंगार स्वयं का उद्धार करें ... फल . फूलों के पौधे लगायें उनका संरक्षण करें ... धरती को हरा-भरा समृद्ध बनायें .... 

क्या बनना चाहते हो

 *किसी ने मुझसे पूछा अपनी जिन्दगी में आखिर चाहते क्या हो‌ ?  (1) बहुत बड़े आदमी बनना चाहते हो ? (2) बहुत नाम कमाना चाहते हो ? (3) बहुत पैसा कमाना चाहते हो ? (4) या चाहते हो लोग तुम्हारी वाहवाही करे‌  (5)  नेता या अभिनेता बनना चाहते हो  (6) बहुत बड़े सफल इंसान बनना चाहते हो ... मैंने भी अपने दिमाग पर जोर डाला आखिर मैं चाहता हूं क्या हूं ... मैंने ‌‌‌‌‌आंखे बंद कर कुछ पल सोचा ... मैं तो बस अच्छा काम करना चाहता हू ... समाज को कुछ बेहतर देना चाहता हूं ... बस बेहतरीन से बेहतरीन काम करना चाहता हूं जिससे मेरा और मेरे समाज का भला हो .... बाकी सब कुछ तो वैसे ही मिल जायेगा ...

अंधेरा यानि विश्राम

 #अंधेरा एक विश्राम है ..  क्यों कोसते हो अंधेरों को . ‌‌अधेरा नये सपनों की बुनियाद भी होता है  जीवन एक चक्र है .. ‌‌‌‌ गाड़ी के पहिए की तरह दौड़ती - भागती जिंदगी ...दिन और रात का क्रम .. अंधेरे के बाद उजाला ..  उजाला के बाद फिर अंधेरा ..  ‌ #इंसान का दिमाग ... कम्प्यूटर से भी तेज भागता है .... आप स्वयं ही सोचिए ... कम्प्यूटर बनाने वाले भी हम जैसे .. इंसान ही हैं .... आपके मेरे और हम सब के जैसे इंसान ....  अपने आप को कमजोर समझना .. कम बुद्धि समझना ... बेवकूफी है ... जब तक आप अपने दिल दिमाग पर चढ़ी नाकारात्मक बातें नहीं हटायेंगे ... आप कुछ भी साकारात्मक नहीं कर पायेंगे .... डर मतलब.... नाकारात्मक सोच ... कहते भी हैं जब तक हम डरते हैं डर हमें और ज्यादा डराता है ... हमें डरना नहीं है.....हम कमजोर नहीं हैं ... स्वयं को‌ कमजोर समझना भगवान द्वारा दी गयी ... हमें हमारी शक्तियों पर विश्वास ना करना है ... विश्वास ....उस दिव्य शक्ति पर जिसे हम परमात्मा कहते हैं ...उस विश्वास को कम मत होने दीजिए .... जिस तरह मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए ..चार्जर लगाना पड़ता है .... ठीक उसी तरह अपने भीतर

Success

 Success is the satisfaction of the mind .... Happiness of the mind ... Look at yourself with your own eyes... Whenever you measure your success from someone else's point of view, you will find yourself half incomplete. Never judge success by money only...if your work is benefiting you and other people...that people are getting inspired by it then you are successful.... 

योग तपस्या योग साधना

योग तपस्या योग साधना  तन निरोगी मन संतोषी  दूर सब व्याधियां होंगी   तन से साधना  मन से अराधना  स्वयं को साधना  इन्द्रियों का प्राणायाम  जीवन का शुभ आयाम  नित अभ्यास से कर योग  तन का योग दूर होगें सब रोग मन से करो ध्यान योग  बन जायेंगे उत्तम संयोग .. नित करो योग रहो निरोग 

चोटें तो खानी पड़ती है

 चोटें तो खानी पड़ती हैं ..  दर्द भी सहना पड़ता है ... सुन्दर आकार देने के लिए तराशने की हद से गुजरना ही पढ़ता है . ‌...    कोई पत्थर भी यूं ही नहीं ..... किसी भी ईष्ट की मूर्ति बन पूजनीय होता है ... तराशने की हद से आगे तक लम्बा सफर तय करना ही पड़ता है .... #  तलाशिए स्वयं को इस कदर की सामने वाला भी कहें हुनर हो तो ऐसा हो .... हर कोई अपने अपने जीवन में कामयाब होना चाहता हैं ...  हुनर --- हर मनुष्य के अंदर कोई ना कोई हुनर अवश्य होता ..है।  कोई भी काम छोटा या बड़ा नही होता ..  अपने काम अपने हुनर को इस तरह तराशिये की सामने वाला कहने पर मजबूर हो जाये हुनर हो तो ऐसा ..  मैं अगर कुछ लूंगा तो अमुक व्यक्ति से लूंगा ... क्योंकि वो उस काम का विषेशज्ञ है ... । निःसंदेह ... आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं ... सबके लिए सफलता के मायने अलग - अलग होते हैं ....  सफलता यानि आपकी मेरी हम सबकी भाषा में अपनी मनचाही मंजिल मिलना कामयाबी * अपने-अपने जीवन में हर कोई सफ़ल होना चाहता है । और हर किसी के लिए कामयाबी के मायने अलग-अलग हैं। आज के आधुनिक समाज में कामयाबी के मायने सिर्फ ज्यादा से ज्यादा

सफलता की ऊंचाइयां

 Hieghts of success  # SUCCESS # ‌Everyone wants to be successful in his life... and success means different for everyone..... success means satisfaction of mind....  1... For some one making money is success 2.other one getting a good job for someone is success..  3.. Achieving some achievement for someone is success... 4:- Every work that gives happiness to the mind, gives satisfaction, is success. #Success # #जीतना सीखें .... जीतना आपका जन्म सिद्ध अधिकार है ... क्यों रोता है मानव.... क्यों अपने भाग्य को कोसता है ....तू स्वयं ही स्वयं का भाग्य निर्माता है.....  यह मत ‌‌‌‌‌सोच तेरे हिस्से में मुश्किलें‌ ज्यादा हैं ..  तेरी काबिलियत पर परमात्मा को बहुत ज्यादा यकीन है .. इसी लिए परमात्मा ने तुझे चुना है .. तू मत कह मेरे‌ हिस्से में ही मुश्किलें ज्यादा हैं ... मान तुझे ‌‌‌‌‌नये रास्ते खोजने हैं ... समाज के लिए प्रेरणा बनकर उभरना है ...  तरी मुश्किलें परीक्षाओं का दौर है ..  हल निकाल आगे बढ़ ... अपनी शक्तियों को पहचान और रच डाल नया इतिहास  .. #आप जीतने के लिए बने हैं हारने के

सपनों का राजकुमार

 (सपनों का राजकुमार ) शीर्षक   मौका था राहुल की Birthday party का ...... बड़े- बड़े लोग बड़ी- बड़ी बातें .... उनकी तो birthday 🎂💐 पार्टी का ख़र्चा जहां  .... मिडिल क्लास फैमिली की दस बारह शादियों से भी ज्यादा होता है ...| राहुल शहर के मेयर का बेटा .... दादागिरी ऐसे दिखाता था जैसे कि वो खुद ही मेयर हो | राहुल कि चचेरी बहन सिम्मी  और सिम्मी की बेस्ट friend रिया  .... दोनों कालेज में एक साथ एक ही सेक्शन पड़ रहे थे , दोनों में अच्छी understanding थी |  राहुल अपने birthday party के लिए मेहमानों की लिस्ट बना रहा था ..... साथ में उसकी बहन सिम्मी भी राहुल की Help कर रही थी  मेहमानों की लिस्ट बनाने में... राहुल ने सिम्मी को अपनी friend रिया को भी invite करने को कहा .... सिम्मी , मैं जानती हूं रिया को और उसकी family को वो कभी नहीं आयेगी ... और लेट नाइट पार्टी तो बिल्कुल नहीं उसके मम्मी- पापा मना कर देंगे । राहुल था जिद्दी स्वभाव का .... शायद रिया के लिए अपने दिल में खास जगह बना बैठा था । राहुल ---कोई भी बहाना करके किसी भी तरह रिया के परिवार वालों को मनाकर रिया को पार्टी में बुलाना होगा ।  ....

तितलियां

देवलोक की देवियां  आसमां की बेटियां  वसुंधरा के भ्रमण पर  देख मन को भा गयीं रंग -बिरंगे पुष्पों की क्यारियां  उम्मीद की खिड़कीयों से  मन की खोली डिब्बियां खुली आंखों से दिख गयी उड़ती सुनहरी तितलियां  कलाकारी भी,अदाकारी भी  कोमल कमसिन तितलियां  फूलों सी प्यारी कोमल  सुनहरी प्यारी तितलियां  देवलोक से उतरी  परी सी दिखी तितलियां मनमोहनी तितलियां  हे प्रभु तेरी कारीगरी  नज़रों को सदा भाती‌ रही 

बदलते मंजर

 #अंजाम की परवाह किये बिना  जीवन जीने के रंग - ढंग बदल रहे हैं  लोग कहते हैं हम आगे बढ़ रहे हैं  आगे बढ़ने की होड़ में सब लड़ मर रहे हैं  वो कहते हैं जी रहें हैं हम ... नशे के धुंऐं में पल- पल भर रहे हैं # बदलाव का दौर हैं  रंग बदल रहे हैं ढंग बदल रहे हैं ‌‌ तस्वीरों के आकार बदल रहे हैं  बदले - बदले से मंजर हैं बदले- बदले से हम हैं  परिधान बदल रहे हैं  आचार बदल रहे हैं व्यवहार बदल रहे हैं  इस बदलाव के दौर में..  दिखावे की राह में सब भटक रहे  कुएं में सब गिर रहे   हैं ... रोशनी को ताकते हुये चित्रकार बदल रहे हैं  चित्र बदल रहें हैं .. चित्रकार बदल रहे हैं  बदलो मेरे अपनों कोई ग़म नहीं   तुम्हारी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं  किसी का ना सही ... कोई ग़म नहीं पर अपना जीवन तो खुशहाल बनाओ  बदलाव लाओ .. जिन जड़ों से तुम सम्भले हो जिनसे तुम्हारे ताड़ जुड़े हैं... उन जड़ों से अलग हुए तो बिखर जाओगे  ..... तोड़ ना कभी उस डोर को जिससे तुम आगे बड़े ..  अपने पैरों पर खड़े हो ...      

शक्ति ....

  चमत्कार क्या आप मानते हैं कि आज के युग में भी चमत्कार होते हैं ... जैसे सतयुग में होते थे .... "अनुभूति तो सबको होती है .. परन्तु जब तक अपनी आंखों से ना देखो या महसूस करो तब तक दिल नहीं मानता " चमत्कार  #अद्भुत # अतुलनीय # रहस्यमयी शक्तियों को खोजते हुए वो‌ बहुत आगे निकल आया था ...अब लौट कर जाना मुमकिन नहीं था ...   रहस्यमयी बातों का आलौकिक खजाना मिल चुका था उसे ..  परन्तु अभी और भी बहुत कुछ खोजना बाकी था ..     *असंभव को संभव कर दिखाने की शक्ति की खोज *   या यूं कहिए खोज अभी बाकी थी ..   शक्ति की खोज क्योंकि खोज जितनी बढ़ती जाती थी ... गहराई उतनी बडती जाती थी ... रहस्य खुलते जाते ..  और उत्सुकता बढ़ती जा रही थी  ....   अब आगे कौन से रहस्य खुलेंगे     यह तो  खोजने वाला ही जाने.....…..कहते भी हैं ना जिन खोजा तिन पाइयां    #दिव्यता #   #निरंतर एक यात्रा पर रहना संभव है क्या  #-  पर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं था ... उसने खोजा था दिव्यता को और भीतर संजो रखा था ...# #दिव्यता एक तेज ..एक ओज... # एक यात्रा का प्रारम्भ .. ** भटकता मन  गंगाराम को लगता था कि..

मां जगदम्बा

 नवरात्रि का शुभ अवसर , मां भगवती जग जननी की महिमा व्रत ,उपासना का दिव्य अवसर .... मां जगदम्बा के नवरात्रों के नौ दिन ....नौ दिवस नौ रात्रियां ... सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता जगदम्बा की स्तुति  सुर्य की कांति की भांति तेज मुख मंडल है जिनका ,लाल चूड़ा ,लाल वस्त्र  .. लाल रंग के तेज का रंग ,सुख- समृद्धि यश कृति का रंग .... दिव्य प्रकाश का रंग , सम्पूर्ण संसार जिससे देदिप्यमान है ... लाल सुनहरा ,स्वर्णमयी पीतमिश्रित दिव्य तेज की आभा से पालित- पोषित ... हरी- भरी आभा से फलती सुख-समृद्धि देव प्रकृति .... समस्त संसार की रचियता सुवर्ण ,तेज , कांति की आभा मां जगदम्बा सृष्टिकर्ता मां सरस्वती - शारदा बुद्धि, ज्ञान ,विवेक, श्रद्धा - भक्ति का महाप्रताप जगत जननी  मां जगदम्बा को अनन्त कोटि प्रणाम बारम्बार प्रणाम .....

रंगमंच

चल आ अपना-अपना  किरदार निभाते हैं  औरों के लिए जीने की  वज़ह बन जाते हैं  चल आ किसी की खुशी की  वजह बन जाते हैं  किरदार में अपने असम्भव को  सम्भव करके दिखाते हैं। रंगमंच में, संसार के मनुष्य के किरदार की भूमिका  उम्र के दौर तक  भावों के चक्रव्यूह में उतार- चढ़ाव में विचारों के गोते खाती, लहरों से सम्भल कर  जो निकलती, तो ही सफल तैराक बनती  प्रेम, हास्य,रूदन, ईर्ष्या,  आदि भावों की गुथी  उलझती- सुलझती जीवन की  गाड़ी हर हाल में चलती  दुनियां के रंगमंच में  मनुष्य तेरे किरदार की भूमिका हर हाल ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ में निभती आशा के दीप से उम्मीद की ज्योति  जब जलती रंगमंच में तेरे किरदार की  भूमिका सदा- सदा यादगार बन  अमर हो जाती ‌।

रंगों का अद्भुत संसार

  रंगों का अद्भुत संसार  यूं तो मुझे सारे रंग अच्छे लगते हैं किन्तु किस दिन कौन सा रंग पहनूं बढ़ी समस्या होती है  अब एक दिन लाल पहना था तो दूसरे दिन कौन से रंग के कपड़े पहनूं । हम भारतीय भी हर बात का हल निकाल ना जानते हैं  भारतीय संस्कृति स्वयं में अतुलनीय है  चलो सारी समस्या ही खत्म अब किसी को ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं । हम भारतीय सोमवार को भगवान शिव का दिन मानते हैं ,और हमारे ईष्ट शिव शंकर तो भोलेनाथ हैं हमेशा ध्यान तपस्या में लीन रहते हैं । भगवान शिव के नाम पर पवित्र रंग श्वेत , यानि सोमवार का श्वेत रंग । मंगलवार ,मगल भवन अमंगल हारी राम भक्त हनुमान केसरी नंदन हनुमान जी का शुभ रंग , केसरी,लाल गुलाबी रंग मंगलवार का शुभ रंग । बुधवार ;-‌ज्ञान बुद्धि एवं समृद्धि सम्पन्नता व्यापार में लाभ के दाता भगवान विष्णु को नमन । समृद्धि का रंग हरा रंग । बृहस्पतिवार :- जिसे गुरुवार भी कहते हैं , ज्ञान बुद्धि को देने वाले गुरु को प्रणाम ,‌ वन्दना विद्या देवी सरस्वती जी को शुभ रंग पीला , श्वेत । शुक्रवार :- वन्दना मां लक्ष्मी देवी माता को भाता लाल‌ गुलाबी रंग प्रिय नमन शक्ति स्वरूपा देवी । शनिवार :

दिल की आवाज़ -2

 ऊंचे -ऊंचे पहाड़, घुमावदार रास्ते , गहरी खाइयां हसीन वादियां *पहाड़ों की रानी मसूरी* | *सिद्धार्थ और नंदनी* की शादी को अभी चार ही दिन हुए थे |     नई- नई शादी और पहाड़ों की रानी मसूरी की हसीन वादियों में नंदनी और सिद्धार्थ अपने शादीशुदा जीवन की नयी शुरुआत करने और एक दूसरे को‌ अच्छे से समझने को बहुत बेताब थे|       नंदनी की इच्छा थी कि वह शादी के बाद हनीमून मनाने पहाड़ों की रानी मसूरी जायें | जबकि सिद्धार्थ सिंगापुर जाना चाहता था |‌‌‌‌लेकिन सिद्धार्थ ने नंदनी की हर बात मानने की शर्त और उसे हर पल खुश रखने की जो ठानी थी,अब मसूरी जाना तो बनता ही था , सिद्धार्थ और नंदनी की आपसी मर्जी से यह तय हुआ था कि वो पहले ‌‌‌‌‌‌पहला हनीमून मसूरी में मनायेंगे | आखिर शादी के बाद पहली बार सिद्धार्थ और नंदनी कुछ दिन के लिए बाहर जा रहे थे| उनकी #जरूरत का सारा सामान# घर के सब| लोगों ने मिलकर गाड़ी में रखवा दिया था*   घर के सब लोगों का नये शादीशुदा जोड़े ‌को seeof भी करना जरूरी था | सिद्धार्थ सबको देखकर बोला होता है‌---- होता है, शूरू - शूरू ‌में बहुत प्यार लुटाया जाता है , खासकर नयी *बहू ... भाभी*... नंद* च

दिल की आवाज़..... Part (1)

 दिल कह रहा है...)         **** हाथ में सूर्ख लाल रंग का चूड़ा****  नयी-नवेली दुल्हन का पहला श्रृंगार उसके चेहरे की रौनक तो मानों "चौदहवीं का चांद" **** सिद्धार्थ और नंदनी की शादी को आज दो दिन हो गये थे , शादी के बाद की लगभग सभी रस्में हो गयीं थीं |  सिद्धार्थ और नंदनी अपने कमरे में आराम कर रहे थे | तभी सिद्धार्थ नंदनी का हाथ अपने हाथ में लेकर ..... नंदनी भी जानबूझ कर बोलो क्या कहना चाहते हो * सिद्धार्थ ‌, नंदनी आफिशियली हमारी शादी हो ही गयी ,..... नंदनी तो क्या ?  सिद्धार्थ नंदनी से...  मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूंगा ,और मैं ... नंदनी क्या ?  सिद्धार्थ जल्दी सो जाओ कल पैकिंग भी करनी है , परसों हमें अपने पहले हनीमून के लिए पहाड़ों की रानी मसूरी भी जाना है | पहला हनीमून और दूसरा हनीमून कहां ?   सिद्धार्थ एक महीने बाद सिंगापुर में ......  सिद्धार्थ और नंदनी अपने जीवन की नयी शुरुआत की मीठी यादों में खो गये ....

शिवरात्रि- यानि शिव की रात्रि - आत्मा की जागृति की रात्रि -

 ऊं नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय  आज शिवरात्रि का पावन पर्व है । शिवरात्रि- यानि शिव की रात्रि -  आत्मा की जागृति की रात्रि -  ऊं नमः शिवाय :- आत्मा से परमात्मा के मिलन की रात्रि , जिसमें स्वयं के अस्तित्व को स्वाहा कर शिव परमपिता परमात्मा से एकीकार हो जाना होता है । यानि- सच्ची भक्ति तभी सार्थक है जब आप स्वयं को भूल कर स्वयं के तन की भस्म बना तन शव बना देते हैं ‌‌‌‌ अपनी कर्मेंद्रियों को भूल जाते हैं यह सब क्रियाएं मानसिक रूप से करनी है । यह सब क्रियाएं मानसिक रूप से करनी है। सर्वप्रथम मन मन्दिर में शिव को धारण करें ,घर में ही देवालय बनायें,जब मन मन्दिर में शिव स्थापित हो जायेंगे ,तो तन तो स्वत: ही मन्दिर पहुंच जायेगा । परन्तु हम सब पहले तन को देवालय ले  जाते हैं , मन्दिर जाते वक्त मार्ग में इतने मोड़ और रुकावटें आती हैं कि मन का क्या ... मन तो भटक ही जाता है अटक जाता है मार्ग के उतार चढ़ावों हमारे समाज में सब भेड़ चाल लोग हैं ‌,एक ने किया दूसरे ने किया फिर तो पीढ़ी दर पीढ़ी सब कर रहे हैं ‌,एक ने किया था उसके साथ अच्छा हुआ,तो किसी ने नहीं किया तो उसके साथ बुरा हो गया कुछ भी हुआ क्यों हुआ कार

जीत का जश्न मना

जीत का बिगुल बजा  हार का श्रृंगार कर हार एक त्यौहार  जीत का आगाज है  जश्न का ऐलान है  हौसलों की उड़ान है  दीप जो भीतर छिपा  संकल्प से उसको जला धैर्य रख दृढ़ विश्वास रख उम्मीद का दीपक जला । आंधियों का शोर है  तूफान की उठापटक  मत अटक मत भटक  वक्त यह भी टल जायेगा  परिक्षाओं का दौर‌  भागने की होड़ है‌  तू भाग मत सम्भल कर चल  मंजिल थोड़ी दूर है  हर रात की होती  अवश्य भोर है‌    सफर पर है तू सफर ‌‌‌‌कर सफर का मजा ले मगर  धूप हो या सहर  सम्भल तू पर चल  हार की ना बात कर  चल उठ हो खड़ा  हार का श्रृंगार कर हार एक त्यौहार  जीत का उद्घोष कर  हार है सबक तेरा  हार से तू सीख ले  जीत से तू प्रीत कर 
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भारत को ही पाता हूं

भारत माता के सम्मान में मैं  यशगान सदा गुनगुनाता हूं  उत्तर से दक्षिण तक का भारत  हर दिन एक त्यौहार है भारत  रंगों में सतरंगी भारत हंसता - खेलता भारत माता के लाल मिले उच्च आदर्शों की दिव्य धरा पर भारत वर्ष का  स्वाभिमान मिला  कश्मीरी केसर मन भाया  उत्तराखंड की दिव्य धरा पर  बहती अमृत गंगा जल धारा हिम का आंचल प्राकृतिक सौंदर्य पंजाब के खेतों में  उगता सोना  राजस्थान राजवाड़ों की धरती  गुजरात बढ़ाता व्यापार सदा  गंगा सागर सरिताओं का संगम  मन प्रफुल्लित दृश्य विहंगम  केरल में सुख समृद्धि ‌फलती  शान में भारत माता की में मैं नित-नित शीश झुकाता हूं   विरासत में है हमको मिली  देवों की यह तपस्थली  ऋषि-मुनियों की दिव्य धरा पर नैतिक शिक्षाओं की धरोहर ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ पाकर धन्य हो जाता हूं  उच्च विचारों की अनमोल सम्पदा  भारत की विरासत की धरोहर  उत्तर में हिमालय अमरनाथ शिवालय  दक्षिण में गंगा महासगर  शक्ति की भक्ति है करता उत्तर से दक्षिण तक लेकर भारत माता को है हमने जिया  सब रत्नों को जब एकत्र किया,  परस्पर प्रेम के सूत्र में सब बंधे हुए थे दिव्य आभूषण बना रहे भारत वर्ष का मान बढा रह