मौसम ने भी बदली करवट
मेघों ने आकाश को घेरा ..
* मौसम बोला *
बिन मौसम बरसूंगा
जी भर कर बरसूंगा
तुम बदले ... वक्त बदला
दुनियां के रूप बदले
जीने के ढंग बदले
तो मैं क्यों ना बदलूंगा
तुम से ही जुड़ा हूं
करनी पर तुम्हारी ही तो टिका हूं
सब बदल रहें हैं तो मैं क्यों ना बदलूं
मैं तो मौसम हूं यूं भी बदलता हूं
वक्त के दौर के साथ करवट बदलता हूं
फिर ना कहना ... बदल रहे हो
ऐ मनुष्य तुम्हारे जीने का ढंग बदला
मेरा भी समय बदला .... देर - सवेर ही सही
लौट कर आ ही जाता हूं ... मैं मौसम हूं
प्रकृति का पुजारी हूं .. वसुन्धरा पर अपने जलवे दिखाता हूं ...
रहता हूं सदा समर्पित .. मेरा अस्तित्व है सृष्टि को समर्पित
सृष्टि जो बदलेगी तो बदलाव मौसम में तो अवश्य आयेगा ।।
बहुत सुंदर सराहनीय रचना।
ReplyDeleteजी नमन
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सार्थक संदेश देती रचना
ReplyDeleteआभार सखि अभिलाषा जी
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