""""खेल तू बस खेल हार भी जीत होगी जब तुम तन्मयता से खेलोगे" .... खेल में खेल रहे हैं सब खेल - खेल में खूब तमाशा छूमंतर हुई निराशा मन में जागती एक नई आशा आशा जिसकी नहीं कोई भाषा खेल- खेल में बढता है सौहार्द आगे की ओर बढते कदमों का एहसास गिर के फिर उठने की उम्मीद सब एक दूजे को देते हैं दीद मन में भर उत्साह अपना बेहतर देने की जिज्ञासा जिसका लगा दांव वो आगे आया प्रथम ,द्वितीय एक परम्परा जो खेला आगे बढा वो बस जीता फिर भी कहती हूं ना कोई हारा ना कोई जीता सब विजयी जो आगे बढ़कर खेले उम्मीदों को लगाये पंख मन में भरी नव ऊर्जा प्रोत्साहन की चढी ऊंचाईयां जीवन यात्रा है बस खेल का नाम दांव - पेंच जीने के सीखो जीवन जीना भी एक कला है माना की उलझा - उलझा सा है सब जिसने उलझन को सुलझाया जीवन जीना तो उसी को आया खेल-खेल में खेल रहे हैं सब ना कोई हारा ना कोई जीता विजयी हुआ वो ज...