वसुन्धरा को तपता देख मेघों ने नील गगन पर डाला डेरा घिर- घिर आया काले घने मेघों का साया मानों मेघ घोर गुस्साये सूरज को ढककर बोले मेघ. वसुन्धरा बहुत तप रही है मानों आग उगल रही है सूरज राजा आज हम तुम्हारे आगे आयेगें वसुन्धरा को थोङा सूकून पहुचायेगें हम वसुन्धरा क्या हाल हुआ है तुम्हारा सूखी नदीयां सूखे पेङ पौधे वृक्ष मेघ गरजे होकर एक दामिनी चमकी सहमें लोग आज मानों बरसेगें मेघ बङें जोर से आखिर आसमान से बरसा पानी मानों अश्रु बहाता हो धरती मां को सूखता देख बरसेगें आज जी भर बरसेगें मेघ वसुन्धरा पर फिर आयेगी हरित क्रांति खेतों में हरियाली होगी वृक्षों पर लगेगें फल रंग - बिरंगे पुष्पों से लदेगीं क्यारियां महकेगें घर आंगन शीतलता का होगा एहसास फूलों पर बैठेगी सुन्दर सुनहरी तितलियां मनमोहक होगा चहूं और..नजारा मेघों का वसुन्धरा से दुलार हरियाली से निखरता है वसुन्धरा.का रुप प्यारा ..