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Showing posts from August 22, 2025

आग और धुआं

  सकारात्मक संकल्प के दीपक का प्रकाश का पुंज  लिहोता है एक कवि ।  निराशा में आशा की  मशाल लेकर चलता है  एक कवि  उम्मीद की नयी किरणें  सकारात्मक दिव्य प्रकाश  के दिए जलाते चलो माना की तूफ़ान तेज है तिनका -तिनका बिखरो मत उन तिनकों से हौसलों की बुलन्द ढाल बनाते चलो माना की घनघोर अंधेरी रात है नाकारत्मक वृत्तियों से लड़ते हुए सकारात्मकता का चापू चलाते चलो संघर्ष के इस दौर में हौसलों के महल बनाते चलो राह में आने वालों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते चलो। हर घर में रोज जले बरकत का चूल्हा  प्रेम ,अपनत्व का सांझा चूल्हा **  मां तुम जमा लो चूल्हा  मैं तुम्हें ला दूंगा लकड़ी  अग्नि के तेज से तपा लो चूल्हा,  भूख लगी है ,बड़े जोर की  तुम मुझे बना कर देना  नरम और गरम रोटी।  मां की ममता के ताप से  मन को जो मिलेगी संतुष्टि   उससे बड़ी ना होगी कोई  खुशी कहीं ।  चूल्हे की ताप में जब पकता  भोजन महक जाता सारा घर * हर घर में रोज जले बरकत  का चूल्हा ,प्रेम प्यार का सांझा चूल्हा * *अग्नि जीवन...