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Showing posts from February, 2024

स्वर्णिम शब्द

 

समुंदर हो जाने तक

आज फिर कुछ लायी हूँ  मीठी मुस्कान के साथ,कुछ मीठे शब्द,  कुछ मीठे बोल,बस यही रह जायेगी यादें  जब मैं समुद्र हो जाऊँगीं.  अभी नदिया की चंचल धारा हूं   बह रही हूँ, सागर हो जाने पर  लहरों के संग आया -जाया करूंगी  अभी नदिया की चंचल धारा हूँ  समुंद्र हो जाने तक रही हूँ मचल  समाज को कुछ बेहतरीन देने  की चाह में, शुभ,सुन्दर,साकारात्मक विचारों  को एकत्रित कर कभी गद्य,कभी पद्य में समाज को समर्पित कर देती हूं, बेहतरीन पाने और  देने की चाह में बस बेहतरीन विचारों की  श्रृंखला बनाती हूँ.. क्रम में सब  अनुशासित हों  सभ्य हों, बेहतरीन हों....  खूबसूरत हों, साकारात्मक की महक से महकते  रहें  सदैव बगीचों की शोभा बढती रहे  मेरा समाज मुस्कराता रहे शुभ की ओर कदम बढाता रहे  मेरे विचारों की बगिया के कुछ फूल  समाज की सुन्दरता बढाने में अपना सहयोग प्रदान करते हैं तो सफल होगा जीवन मेरा... 

उम्मीद

उम्मीद से हौसला बढता है,  हौसलों से साहस, साहस से  आत्मविश्वास जन्म लेता है ..  वही आत्मविश्वास असंभव को  सम्मभ करने की क्षमता रखता है।  छोटी-छोटी किरणों से मन में आशाओं के नये दीप जलते हैं  जग भले ही रोशन ना हो तत्काल  मन उम्मीद के नये उजालों से भर  जाते हैं .. उन उजालों की किरणों से,  जग रोशन हो जाता है।  एक उम्मीद ही तो है. जो चीटियों  को पहाड़ पर चढने को प्रेरित करती है  उस उम्मीद की किरणों से आशा का एक दीप  हौसलों का भव्य आसमान  तैयार करता है और फिर कहीं  जाकर आकाश में असंख्य  तारे जगमगाते हैं... अपने  अस्तित्व पर मुहर लगाते हैं।।। 

बंसत पचंमी

 * बंसत पचंमी * *ऋतु बसंत,समीर चले  मधुर – मधुर सवंच्छद* नव पल्लव अंकुरित पुष्प मरकंद.. मन प्रफुल्लित सूर्य प्रकाश अद्भुत प्रसन्न अंतर्मन आयो ऋतु बसंत ज्ञानामृत बुद्धि, विवेक का भण्डार हो, मां शारदे तुमको नमन प्रकाश,ज्ञान कलश अनन्त  धन, वैभव सुख-सम्पत्ति लक्ष्मी की पवित्र – पावन रश्मियां नमों मां सरस्वती मां देवी बुद्धि, वैभव सुख-समृद्धि का प्रकाश हो.. आयो ऋतु बंसत...
जज्बा है सेवा का, मन में एक आस है, विश्वास है, कुछ कर गुजरने का जूनून है.. होगा हर काम बेहतरीन जो होगा आप सबका संग है...  जहाँ कोशिशों के कद ऊंचे होते हैं वहाँ सफलता के कदम आसमान तक उडान भरते हैं  मंच पर उपस्थित अतिथि. मेरे समक्ष बैठी बोर्ड member बड़ो एवं छोटी मित्रों नमस्कार  नमस्कार.. आप सब लोगों ने मुझे मौका दिया, इस लायक समझा मैं आप सबकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूगीं... हो सकता है बहुत ज्यादा ना कर पाऊं.. पर जो भी करूगीं बेहतरीन और उपयोगी करने की कोशिश करुँगी... इससे पहले अध्यक्षा सीमा अग्रवाल जी  द्वारा भी बेहतरीन कार्य किये गये जो निसंदेह प्रशंसनीय हैं... कोशिश करूंगी की मैं आप सबकी उम्मीदों पर खरी उतर पाऊं... मुझे और मेरी टीम को आप सबका सहयोग और समर्थन चाहिए.. जो आप सब से निरंतर मिलता रहेगा उम्मीद करती हूं।।। Hello.. You all gave me a chance, I consider it worth it, I will try to full fill   your expectations... I may not be able to do much... but whatever I do, I will try to do it best and useful.. Before this, excellent work has also been done by President Seema Aggar

जादूई रस है संगीत

जादूई रस है संगीत  वायुमंडल मे समाहित है संगीत  आओ मिलकर सुरीले गीत गायें आओ सुर से सुर मिलायें सुन्दर ताल पर सुमधुर धुन बजायें रियास की ओर कदम बढायें चलना होगा कदम से कदम मिलाकर ताल से ताल का मेल हो राग हो रागिनी हो मन में सुन्दर भावों की चांदनी हो फिर बनेगा गीत सुहाना हम सबके दिलों का तराना बने जिसका हर दिल दिवाना ऐसे गीत को है आवाज देना सुमधुर सुर हों,ताल हों सुंदर भावों का तालमेल हो जिन्दगी गाये ऐसा गीत जो हर दिल जाये जीत*।।।

मैं एक महाकाव्य बनना चाहूंगी

*मैं एक किस्सा नहीं,एक महाकाव्य बनना चाहूँगी बातें बड़ी ही सही,परन्तु सागर की स्याही, कलम मैं खुद बनना चाहूँगी * * आयी हूँ दुनियां में  तो  कुछ करके जाऊंगी सुंदर तरानों के कुछ गीत सुहाने छोड़ जाऊंगीं * *यूं ही नहीं चली जाऊंगीं परस्पर प्रेम के रंगों से सारा जहां सजाऊंगी कुछ मीठे जज्बातों से हर दिल में घर बनाऊंगी* कोई याद ना करे फिर भी  याद आऊंगीं, क्योंकि अपने तरानों के कुछ अमिट निशान छोड़ जाऊंगी * *अपने लिये तो सब जिया करते हैं मैं कुछ –कुछ दुनियां के लिये भी जीना चाहूँगी मैं किस्सा नहीं एक महाकाव्य बनना चाहूँगी मैं मेरे जाने के बाद भी, अपने शब्दों मे जीना चाहूँगी.... 

हंस लिया करो जब मन करे 🤣

यूं ही बेवजह मुस्कराया करो  माहौल को खुशनुमा बनाया करो  हंसना नहीं आता तुम्हें थोड़ा तमीज से हंसा करो जहां दखो वहाँ दांत दिखा कर हंसने लगती हो  अरे भई! हंसना तो हंसना होता है, उसमें कैसी तमीज..  यह तो देख लिया करो  कहाँ हंस रही हो..!  यह तुम्हारा घर नहीं है..  घर पर.. कौन सा हंसने  का समय मिलता.. काम व्यस्तता  फिर बचे-हुये समय में आराम..  हंसना तो मन की प्रसन्नता से आता है  किसी बात से मन खुश हुआ तो हंस लिया अब मन की प्रसन्नता पर हंसी के फूल खिलना चाहते हैं  तो उन्हें खिलने दो.. हां किसी का मजाक बनाकर हंसना  गलत है... हंसने से खुश रहने से साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है... एक को हंसता देख दूसरा भी हंसने लगता है  हंसना तो अच्छा ही हुआ ना - -  खिलते फूलों को देखकर सबको प्रसन्नता होती है...  हंसों भई! जब मन करे जी भरकर हंस लिया करो  वैसे भी आजकल हर काम पर आधुनिकता का पैबंद लग रहा है.. हंस लो जी भर... महफिलों में ठहाके नहीं लगाये जाते.. 

मैं तो ऐसा नहीं

लहरों का काम है सारा  जो चैन से जीने नहीं देती मुझे  इसके लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराना  भीतर का कौतूहल है जो टिकने नहीं देता लहरों का आना-जाना लगा रहता है  लहरें बहुत उझाल मारती हैं  दूर तक जाकर पलट देती हैं  डर लगता है, जाने यह लहरें मुझसे  क्या चाहती.. मैं जो हूं, उससे जुदा होने के  लिये मजबूर करती हैं  अद्भुत विडम्बना तो देखो  जो पास है,उसके लिए खुश  होने की बजाय,जो पास नहीं है  उसके लिए रोने को मजबूर करती हैं ।।