यात्रा ..... यात्रा:- अपने -अपने जीवन में यात्रा तो सभी करते हैं ... साईकिल:- मेरे कुछ अनुभव बचपन से लेकर अभी तक की यात्रा के ..... साईकिल:- बचपन की सबसे पहली स्वतंत्र यात्रा ..साईकिल..दो पहियों पर पैडिल के सहारे चलती ... खुले आकाश तले खुली हवा में सांस लेते एक जगह से दूसरी जगह जाने की यात्रा ..बङी ही विचित्र, सुविधापूर्ण साईकिल की यात्रा ... तांगा:- सौभाग्य से हमने तांगे की सवारी भी की है ...घोङे की चाल पर चलती ...घोडा गाङी ,यानि तांगा ... घोङा जब चलता है ,उसके पैरों के नीचे लगी लोहे की नाल ... उस पर घोङे की मस्तानी चाल ,और एक धुन पर चलती टक- टक की आवाज ... आज भी वो आवाज कानों में मधुर संगीत घोलती है ... इसका भी अलग ही मजा था । बस.... बस में बैठने का भी आनन्द अलग ही है .. कई सारे लोगों की भीङ में यात्रा करने का अपना अलग ही आनन्द है... कहीं कोई मूंगफली खाता ..कहीं कोई बच्चा चिप्स खाता ...एक ड्राइवर इतने सारे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाता ...बस का सफर भी स्मरणीय रहेगा । ट्रेन... वाह! वाह! वाह! ट्रेन का सफर यादगार लम्हें , मानों सफर के संग पिकनिक...