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Showing posts from August 18, 2023

आया सावन झूम के

आया सावन झूम के  बन मयूर मन नाचे घूम- घूम के  रिम झिम वर्षा की बूंदें बन मोती  अम्बर से प्रकृति का रूप निहारें  आया सावन झूम के सखियां सजायी हाथों में मेंहदी  आकृति बनायी मनमोहिनी  रुप माधुरी चित -चोर  रुप चढा ऐसा मेंहदी का, मानों भव्य पंख हो सुन्दर मोर  मानों चंदा पर चकोर  पुष्पों पर तितलियां हो रही हों आकर्षित  हो भाव विभोर.. माथे पर बिदियां मानों अम्बर पर सितारों का जलवा  चूडियों की खनक मानों वीणा के सुर पैरों की पायल मानों संगीत की धुन पर  रियाज करता हो कोई  साज प्रकृति तुम्हारा रुप भी निखरा- निखरा है आजकल   आया है सावन झूम झूम  के  वर्षा की मधुरमयी फुहार   चहूं और बहार  ही बहार   खुशियों का संसार   सदाबहार रहे प्रकृति का रूप रहे निखरा - निखरा  मन प्रफुल्लित हो हर्षित हो तिनका भी तृण का ...