काश की पहली गलती पर रोक लगा दी होती काश की पहले ही ना बढने दिया होता अपराध का पहला कदम अपराध का इतना बढा साम्राज्य पहली गलती पर रोक लगा दी होती ना बढता अपराध का इतना बढा साम्राज्य क्योकि कई चुप रहे ..कानों कान फुसफुसाते रहे मुंह से बोल किसी के ना निकले चुप्पी ने तुम्हारा तो समय निकाल दिया तुम्हें तो निकल लिए चुपचाप.. फर्स्ट सटेज पर ईलाज होता कामयाब ना होती भीषण तबाही लङाई होती कुछ ही से .. लेकिन अब पूरी कौरवों की सेना तैयार है मुंह सबका काला हो रहा है अपराधो के भयावह जाल में आगे यह लडाई बहुत मंहगी पढेगी ईलाज की तो बात ही क्या .? धूम्रलोचन ,मधुकैटव सक्रिय हैं .. सत्य की मशाल जला आहुतियां मांग रहा है काल बलि चढाने को अपराध की स्वयं अवतरित हो आ रहे हैं महाकाल .. खा रही हैं आने वाली पीढी को अपराध की जहरीली जङें तुम्हारी तो कट गयी अब तोड़ो चुप्पी बोल दिया करो समय रहते जङों तक जहर जब फैल जाता है तो इलाज मुश्किल होता है .....