महाभारत का काल है
हाल हुआ बेहाल है
दुर्योधनों की भरमार है
कौरवो की सभा लगी है
दुर्योधन बेअंत
धृतराष्ट्र मोह स्वच्छंद
गांधारी सम यह समाज
द्रोपदी चीख चिल्ला रही
भीष्म पितामह प्रतिज्ञाबद्ध मानों जैसे मूक बधिर
यह कैसा काल है ..हाल हुआ बेहाल है
चीर हरण को दुर्योधन भरे पङे हैं
दुशासन बेअंत..हैं
कलियों को कब तक कुचलोगे
मत जहर उनमें भरो
महाभारत को ललकार रहे
सत्य धर्म को सुदर्शनधारी
चक्र ऐसा चलायेगें
दुर्योधन दुशासनों के सिर धाराशाही हो जायेंगें
मां काली करे रौद्र भंयकर
मधु केटव मारे जायेगें
रक्त बीजों अब शून्य हो जायेगें
अंत अब निश्चित है .. अनगिनत कौरवों पर
पांच पांडव भारी पढ जायेगें
एक हुंकार लगायेंगे शिव तांडव के प्रलयकाल में
समस्त कौरव मारे जायेगें ..
यही सत्य की रीत है .. होती सत्य की जीत है ..
आज के आधुनिक समाज का हाल भी महाभारत जैसा है ..मैं तो कहूँगी उससे भी भंयकर बुरा हाल ..आज भी कौरवों की सेना विशाल जरूर है और जहरीली फसलों की जङें भी बहुत गहरी ....समय लगेगा ..कहते भी हैं ना सत्य प्रताड़ित अवश्य हो सकता है ..किन्तु पराजित नहीं ..अब समय आ गया है सभी द्रोपदी यों को सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण का आह्वान करें..और स्वयं मां काली का रुप धर अन्याय का अंत करें ...
झूठ के साम्राज्य का अंत ..शिव का प्रलयकारी तांडव ही करेगा ...
वाहहहहहह बेहद मार्मिक रचना । बहुत सुंदर
ReplyDeleteजी आभार
Deleteवाहहहहहह बेहद मार्मिक रचना। बहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन सृजन रितु जी ।
ReplyDeleteनमन शुभा जी आभार
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