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Showing posts from February 7, 2024

मैं एक महाकाव्य बनना चाहूंगी

*मैं एक किस्सा नहीं,एक महाकाव्य बनना चाहूँगी बातें बड़ी ही सही,परन्तु सागर की स्याही, कलम मैं खुद बनना चाहूँगी * * आयी हूँ दुनियां में  तो  कुछ करके जाऊंगी सुंदर तरानों के कुछ गीत सुहाने छोड़ जाऊंगीं * *यूं ही नहीं चली जाऊंगीं परस्पर प्रेम के रंगों से सारा जहां सजाऊंगी कुछ मीठे जज्बातों से हर दिल में घर बनाऊंगी* कोई याद ना करे फिर भी  याद आऊंगीं, क्योंकि अपने तरानों के कुछ अमिट निशान छोड़ जाऊंगी * *अपने लिये तो सब जिया करते हैं मैं कुछ –कुछ दुनियां के लिये भी जीना चाहूँगी मैं किस्सा नहीं एक महाकाव्य बनना चाहूँगी मैं मेरे जाने के बाद भी, अपने शब्दों मे जीना चाहूँगी....