सुबह-सुबह का समय था , अभी लगभग सुबह के साढ़े दस बजे होंगे । अभी कोई बोनी भी नहीं हुयी थी , दुकानदार की निगाहें सड़क पर चलते लोगों पर टिकीं थी कि कब कोई ग्राहक आये और बोनी हो । पहला इंसान बड़ी उम्मीदें ,और फिर क्या हुआ ,वो लड़की आकर बोली, भाई साहब ,नहीं चाहिए आपका सामान,एक तो इतना मंहगा ऊपर से बेकार क्वालिटी ,रखो अपना सामान अपने पास..... दुकानदार बहुत मायूस हो गया,वैसे तो दुकानदार के साथ ऐसा अक्सर होता ही रहता था,लेकिन इतनी सुबह-सुबह और वो भी पहला ग्राहक दुकानदार बहुत उदास हो गया ..... दुकानदार उदास मन से उस लड़की जरा बैठकर देखो दुकानदार की तरह ,सारा दिन एक - एक ग्राहक का इंतजार करना ,उस पर भी यह पक्का नहीं की ,ग्राहक कुछ लेकर भी जायेगा या नहीं ,सारा हाल झांटने के बाद कहना हमें पसंद नहीं आया ..... सोचिए और उस दुकानदार की तरह उसकी गद्दी पर बैठकर देखिये , फिर आपको पता चल जायेगा आटे - दाल का भाव ,आपने तो बड़ी आसानी से कह दिया , आपको पसंद नहीं आया मार अच्छा नहीं है ,नकली है मिलावटी है । बहन जी आपने तो बड़ी आसानी से कह द...