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Showing posts from September 29, 2025

किताब के पन्ने

       किताब के पन्ने           पलटते पन्ने      हर रोज एक नया पन्ना    जिन्दगी की किताब का      हर रोज एक नया पन्ना  नये दिन की शुरूआत का  सिलसिला शुरु होता है जज्बातों का  बनता है हर रोज एक नया खाता कर्मों का            लेखाजोखा । दिनचर्या की भागदौड़ आगे बढने की होड़  हर सुबह हर नयी भोर लिखना चाहती हूं कुछ ,लिख देती हूं कुछ  कभी-कभी परिस्थितयों देती हैं बेहद झकझोर  पिछले पन्नों की लिखावट पर जब करती हूं गौर आत्म ग्लानि से जाती हूं भर  पिछले पन्नों की लिखावट में कितनी सौम्यता थी  विचारों में कितनी सरलता थी सादगी थी  जैसे-जैसे आगे बढती गयी हो गयी कठोर  फिर सोचती हूं किताब का आरम्भ और अंत अच्छा हो तो  सब अच्छा हो जाता है  आरम्भ अच्छा था मध्य कांणा था  अब अंत को संवारना है  लौट कर घर भी वापिस जाना है  हिसाब किताब होगा जब वहां  अधिकतम अंको से उत्तीर्ण भी तो होना है