राम राज्य की ध्वजा पताका जाने हैं हम तो सतयुग की भाषा हम सब की प्यारी धरती माता प्रेम सौहार्द की प्यारी मीठी भाषा निस्वार्थ प्रेम के गुणों से भारतीयों का सहृदय नाता मानवों की प्रिय धरती माता निस्वार्थ प्रेम के दरिया में जीवन को जीवंत करती वसुन्धरा .. अक्सर भीतर कुछ जानवर भी घुस आते जो जंगल राज बनाना चाहते अपनी डफली अपना राग, अपना दबदबा चाहते है जानवर अज्ञानी प्राण घातक अपना जंगल राज चाहते. उन जानवरों को जंगल में भेजो यारों .. यह धरती तो मानवों के लिए बनी है .. इतिहास गवाह है दानवों का अत्याचार जब- जब अपना वर्चस्व बढाता जाता पवनपुत्र अवतरित हो आते ..अपना वैभव आप दिखाते ..श्री राम सत्य की डंका बजाते.. और जो बेवजह उत्पात मचाते हैं ..उनका अंत निश्चित कर जाते हैं फिर से रामराज स्थापित कर जाते हैं ...