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Showing posts from May 20, 2023

हलचल फिर शुरु हुई

व्यवस्था में सुधार हेतु कार्यक्रम चला  उठापटक हुई शुरू  कुछ हिला ,कुछ गिरा अस्त-व्यस्त सब पड़ा हुआ था  इधर- उधर सब हो रखा  था हलचल स्वाभाविक ही हो रही व्यवस्था थी चल रही   जेबों में जो कुछ था पङा .. सब कुछ छंट रहा  लगता है कुछ चल रहा है  पुराना हिसाब- किताब खुल रहा  देना - लेना अदा हो रहा  लगता है कुछ  तो व्यवस्थित  हो रहा  कुछ तो काम हो रहा  चलाचल चलाचल  हलचल भी कराकर  फिक्र बस इतनी सी कराकर   लहरों का आना -जाना रहे पर मगर  संग ना किसी को गुम करा कर .. सम्भालकर ..सम्भलकर बस जो मन चाहे वो किया कर ..