आधुनिकीकरण का युग है ... नासमझी का दौर है आधुनिकता बनाम अंधी दौड़ ... आंखो पर काला चश्मा कानों पर लगा हेडफोन आङी- तिरछी कटी- फटी पोशाकें पहनने पर जोर है ... आधुनिकता का दौर है समझदार हैं सब.. हर ओर शोर है भागने की होड़ है .. तन- मन- धन दांव पर लगाने की होङ है .... संस्कति- संस्कारों को बंधन मान खुद को तबाही पर पहुंचा जानवरों सा जीवन जीने को मचाता शोर है .. आपस मे ही कट- पिट कर मर जाओगे .. जानवरों को पिंजरों में कैद करने को आने को नयी भोर है ..