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Showing posts from October, 2022

दीपों की बारात सजी है

दीपों की बारात सजायी .. मन में खुशी की बजी शहनाई  देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....  शुभागमन देवों का  स्वागत के शुभारंभ में  बंदनवार सजाये ..   सुन्दर आकर्षक रंगोली आंगन में बनायी  दिवारों पर चमकीली झालरें लटकायीं  आलों में दीपक जलाये  अदिति सत्कार में पकवान बनाये  कुछ स्वादिष्ट मिष्ठान बाजार से ले आये देव आगमन श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में  राहों में अपनी पलकें बिछाई  अमावस्या की रात थी चन्द्रमा भी छुट्टी पर था ..  जगमगाते दीपकों के प्रकाश से सारी नगरी जगमगवायी  कुछ आतिशबाजी भी आसमान की ऊंचाईयों में जगमगवायी ... देव आगमन में हमने दीपकों के प्रकाश से थाली भी सजायी ..  मानों सितारों की मण्डली हो धरा पर हो उतर आयी ... श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में हमने दीपावली मनायी  चेहरों पर खुशी की फुलझडियां खिलायीं‌ ... यूं ही जगमगाती रहे जीवन में खुशियों की फुलझडियां  ऋद्धि - सिद्धि .. सुख - समृद्धि से सम्पन्न हो‌ जीवन का हर पल ... देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....  

त्यौहार जीवन आनंद

त्यौहारों आते हैं, समाज में शुभ साकारात्मक संदेश लाते हैं...  तय + औ + हार ... तय समय में किये गये शुभ कार्य जो जो युगों - युगों तक समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन पूजनीय हो गये .... जीवन जीने का संदेश दे आनंद बन गये ... त्यौहारों का संदेश ऐसा जीवन जीना कि समाज युगों - युगों तक याद करें पूजा करे एवं स्वयं को कृतज्ञ करें  .  त्यौहार उत्सव हैं ,मंगल बेला का शुभ संदेश है ... त्यौहार बंधन नहीं ..  त्यौहार तो जीवन का आनंद है .... शुभ संकेत है ...  देश , परिस्थिति और काल के अनुसार जीवन में शुभ साकारात्मक प्रेरणास्पद कर्म करने का . ‌.. त्यौहार जीवन में रंग भर एक नयी उर्जा प्रदान करते हैं  त्यौहार जीवन में उत्साह एवं उमंग की शुभ तरंगें लेकर आते हैं .. ... और संस्कृति और  संस्कारों का दर्शन कराते हैं.... प्रत्येक त्यौहार स्वयं में एक विशेष महत्व लिए होता है... कोई ज्ञानवर्धक संदेश... समय ,काल  एवं परिस्थितियों का परिवेश ... लिए विशेष महत्व को दर्शाते हैं‌ हमारे त्यौहार ... त्याग, तपस्या बलिदान‌, एवं कोई ना कोई प्रेरणा दायक संदेश अवश्य देते हैं हमारे त्यौहार  ... त्यौहार + तय + औ + हार .... तय समय म

दीपावली

आओ इस बार दिवाली कुछ अलग अंदाज में मनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं   चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते है  बंदनवार सजाते हैं रंगोली बनाते हैं ... इस बार दिवाली की सफाई में मन में छिपे सारे.. शिकवे - शिकायतों की गंदगी हटाते हैं  आओ हम सब मिलकर अपने-अपने दिलों में परस्पर के प्रेम के दिये जलाते हैं , अमावस्या की रात में रोशनी का माहौल बनाते हैं  आतिशबाजी से आसमान जगमगाते हैं   प्रकाश का उत्सव मनाते हैं .. अपने प्रभु ईष्ट के स्वागत में द्वार - द्वार दीपक का प्रकाश कर वातावरण को शुद्ध साकारात्मक बनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं चेहरों पर  हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं  परस्पर प्रेम का संचार शुभकामनाओं के उपहार देते जाते हैं .....  इस बार दिलों के अंधकार मिटाते हैं  निस्वार्थ प्रेम से अपनत्व के बीज बोते जाते हैं ... चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं .....