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Showing posts from September 9, 2021

धारा प्रवाह

नदिया का किनारा  मन की शांति को सहारा    ए नदिया ले चल मुझे भी अपने बहाव संग  कहीं दूर मैं रह जाऊं इधर  मेरा मन चंचल निकल जाये कहीं दूर  मैं होकर भी ना रहूं, फिर भी रहूं यहीं पर  मुझे भी बना दे धारा बस तेरा हो इशारा  नित नूतन नयी नवेली बुझो कोई पहेली   बहते जल की तरह बढ़ते बस बढ़ते जाऊं निर्मल, निरंतर अग्रसर फिर भी एक ठहराव  तरलता और निर्मलता का भाव  हरी-भरी वसुन्धरा पर्वतों की कंदरा रुक ए मन रुक जरा मेघों का झुंड घिरा  मानों उतर रही हो कोई अप्सरा  धीमें से सुनहरी रंग-बिरंगी तितलियों का  झुंड कोमल पुष्पों से ले रहा हो पराग का  रस अमृत रस भरा ... फसलों की बालियां वृक्षों की कतार  जल है तो जीवन हैं,वृक्षों में प्राण भरे जल अमृत, जल पूजनीय है जल अमृत भण्डार  भरा जल का सदुपयोग करो जल ना होने से सूखे  में तड़फ कर मर जाओगे  जल की अधिकता प्रलयकारी सब जलमग्न कर जायेगी  जल ही जीवन ‌‌‌‌‌, जल से तरलता , जीवन में निर्मलता  पवित्र , पूजनीय जल देव अवतार जल से समृद्ध समस्त संसार ‌बड़ना और आगे की ओर बढ़ना लक्ष्य  पर्वतों को चीर कर अपनी राह बनाना  पाषाणों से टकराना फिर भी आगे बढ़ते जाना  जल से चलता सुं

दस्तक एक आहट

एक दस्तक ,एक आहट मन की आवाज़  जिसमें छिपे होते हैं गहरे राज  इशारों की बात भी सुनना सीखो मेरे  अपनों उसमें छिपे होते हैं गहरे राज ‌ इशारा मन का आत्मा को  एक अनसुनी आवाज जो दिल को  हरपल दस्तक देती है इशारों में समझाती है  पर हम ही सुन कर अनसुना कर देते हैं  दिल की बात सुने या फिर दुनियां को देखें  कैसे ,कैसे अनदेखा कर दूं दुनियां को  जो हर पल मुझे ताकती है  गिरता हूं ठोकरें खाकर तो हंसी उड़ाती है  ऊपर उठता हूं तो भी बातें बनाती है  फिर भी मैं दुनियांदारी में उलझ जाता हूं  जिसे मेरे होने या होने से कोई फर्क नहीं पड़ता  जिसके लिए मैं हरपल एक किस्सा हूं  इशारा जो आत्मा का मन को होता  एक पहली अनकही आवाज जो  बस सवयं को ही समझ आती है  उस आवाज का इशारा हमेशा सही होता  जिसमें अच्छे -बुरे सही और ग़लत का विवेक भी होता है  समझना आवश्यक है इशारे का इशारा किधर होता  इशारे में भी गहरा राज छिपा होता है ।।