सर्वप्रथम परमपिता परमात्मा दिव्य शक्ति को मेरा शत- शत-शत नमन अक्सर दुआओं में कहता है यह मन थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये एक दूजे शुभचिंतक बन जाये ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन फिर क्यों ना पुष्पों सा जीवन बिताएं हम फलदार वृक्ष बन जायें हम नदियों का जल बन जायें हम .. आंगन की शोभा बन बागों की रौनक बढायें हम हवाओं में घुल- मिल सुगन्धित संसार कर जायें हम अक्सर दुआओं में मागता है यह मन खुशियों से मालामाल रहे सबका जीवन आप भी मुस्कराये हम भी मुस्करायें बागों में फिर से बहार आये जीने की अदा सबको सिखाये बगीचों की शोभा बन हर एक के चेहरे पर रौनक ले आये हम..परमपिता की दिव्य दृष्टि का प्रसाद निरंतर पाये हम आसमान से आता है,कोई फरिश्ता दुआओं से भर जाता है मेरा दामन एक रुहानी एहसास अवश्य पाता हूं उस फ़रिश्ते की महक , मेरा घर आँगन महका जाती है मेंरे चेहरे पर बिन बात के मुस्कराहट आ जाती है । मैं चल रही होती हूँ अकेली ...