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Showing posts from March 18, 2016

* अमर उजाला*

अधिकतर मेरी आत्मा से एक आवज है आती उठ जाग अभी अभी नहीं तो कभी नहीं , तुझे तो अभी बहुत कुछ है करना है । अपने लिये तो सभी जीतें हैं पर जीवन तो वह सफल है जो औरों के जीने के लए भी जिया जाए इस दुनियाँ की भी कुछ रस्में हैं ,बंदिशे हैं ,अपने कानून हैं । पर मुझे तो अपनी मंजिल की राहोँ की तलाश थी , चलना जारी था राहें आसन भी नहीं थी , पर आत्मा की प्रेरणा कहाँ हार मानने दे रही थी , जहां राह दिखती चल पड़ती और कुछ नहीं तो जिन्दगी की ठोकरें गिर -गिर के संभलना सिखाती गयीं तजुर्बों की बड़ी सौगात मिली , मेरी आत्मा मुझे चैन से रहने नहीं दे रही थी क्योंकि उसे तो उसकी मंजिल  की तलाश थी कदम बड़ते रहे , गिरते सम्भलते  राह मिली अब तो हवाओं ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया उम्मीद का नया सवेरा हुआ ,आसमानी तरंगों में मुझे मुकाम मिला अमर उजाला के कोरे पन्ने ,पन्नों में उकेरे मैंने शब्दों की माला के कुछ सुनहेरे,उज्जवल भविष्य के रंग बिरंगे प्रेरक सपने । सपने समाज के उत्थान के , समाज को नयी रौशनी की किरण दिखाते मेरे  लेखन ने निभाये कुछ अधूरे  सपने ।