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Showing posts from August 4, 2021

कहानी

आकाश ने सुनाई अपनी कहानी  घिर आया मेघों का घेरा काले घने ‌‌  मेघों से छाया घोर अंधेरा लुप्त हुआ सवेरा  रौद्र रुप धारण किया मेघों ने फिर घर्षण हुआ  दामिनी जब चमकी भय से कितनों का दिल ‌‌‌‌‌दहला    फिर बरसा आकाश से पानी अंतहीन अश्रुओं का सैलाब‌  वसुन्धरा हुई पानी -पानी ,प्यासी थी मानों कब से  समा गई  स्वयं में, आकाश से बरसता जल अमृत  हरी-भरी समृद्ध हुई वसुन्धरा ओढ़ी हरियाली की ओढ़नी  जलाशयों में भरा पानी , वृक्षों की ऊंची शाखाएं  शीतल समीर का झोंका पत्ता -पत्ता बजाता ताली मन हर्षाता , वृक्षों की डालियों पर पड़ गई पींगे  झूला झूलन को सखियों का मन रीझे ‌‌ आओ हरियाली का उत्सव आया  खुशहाली का सावन‌ आया मौसम यह मनभावन आया  देख वसुन्धरा पर हरियाली आकाश ने सतरंगी इन्द्रधनुष सजाया , नील गगन में उमड़ -घुमड़ कर फिर मेघों का समूह बनाया ‌,बरस-बरस‌कर सावन में सुख-समृद्धि की हरियाली ‌‌‌‌‌लाया।  वसुन्धरा पर आ गया था हरियाली उत्सव  आकाश से बरसता जल अमृत ‌ मौसम वर्षा का था नील गगन में मेघों का राज था मेघों का समूह गगन में उमड़-घुमड़ कर रहा था विभिन्न आकृतियां बना-बना कर मानों अठखेलियां कर रहा था जी भर के