आकाश ने सुनाई अपनी कहानी
घिर आया मेघों का घेरा काले घने
मेघों से छाया घोर अंधेरा लुप्त हुआ सवेरा
रौद्र रुप धारण किया मेघों ने फिर घर्षण हुआ
दामिनी जब चमकी भय से कितनों का दिल दहला
फिर बरसा आकाश से पानी अंतहीन अश्रुओं का सैलाब
वसुन्धरा हुई पानी -पानी ,प्यासी थी मानों कब से
समा गई स्वयं में, आकाश से बरसता जल अमृत
हरी-भरी समृद्ध हुई वसुन्धरा ओढ़ी हरियाली की ओढ़नी
जलाशयों में भरा पानी , वृक्षों की ऊंची शाखाएं
शीतल समीर का झोंका पत्ता -पत्ता बजाता ताली
मन हर्षाता , वृक्षों की डालियों पर पड़ गई पींगे
झूला झूलन को सखियों का मन रीझे
आओ हरियाली का उत्सव आया
खुशहाली का सावन आया मौसम यह मनभावन आया
देख वसुन्धरा पर हरियाली आकाश ने सतरंगी इन्द्रधनुष सजाया , नील गगन में उमड़ -घुमड़ कर फिर मेघों का समूह बनाया ,बरस-बरसकर सावन में सुख-समृद्धि की हरियाली लाया।
वसुन्धरा पर आ गया था हरियाली उत्सव
आकाश से बरसता जल अमृत
मौसम वर्षा का था
नील गगन में मेघों
का राज था
मेघों का समूह गगन
में उमड़-घुमड़ कर रहा था
विभिन्न आकृतियां बना-बना
कर मानों अठखेलियां
कर रहा था जी भर के
अपनी मनमर्जीयां कर रहा था
मेघों का राज था
श्वेत मखमली मेघों का टुकड़ा
आचनक धरती पर उतर आया
मुझे अपने संग
श्वेत मखमली पालकी में बिठाकर
सुन्दर सपनों की दुनियां में
विहार करने को ले गया
मेघों की गोद और मैं रोमांचित
हृदय की धड़कने प्रफुल्लित
स्वर्ग सी अनुभूति
जादुई एहसास सिर्फ
प्रसन्नता ही प्रसन्नता
अक्लपनिय ,अद्भुत दुनियां
क्षण भर की सही
बेहतरीन बस बेहतरीन
फरिश्तों से मिलन की
अतुलनीय अद्वितीय कहानियां *
आकाश में गरजे मेघ
धरा को तपते देख ,काली घटाओं का घेरा
खूब बरसा,वर्षा बनकर मानों बेअंत अश्रु धाराओं का डेरा
प्रकृति के अद्भुत नजारे
नज़र के सामने हो पर तुम
एक किनारे ,हम दूसरे किनारे
नज़र भर कर देखूं तुम्हें
पर ना दूर कर सकूं कष्ट तुम्हारे
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