Skip to main content

Posts

Showing posts from March 25, 2025

लेखनी भाव सूचक

  लेखनी भाव सूचक) "लेखनी"अक्सर यही कहा जाता है ,की लेखनी लिखती है जी हां अवश्य लेखनी का काम लिखना ही है । या यूं कहिए लेखनी एक साधन एवम् हथियार की भांति अपना काम करती है। लेखनी सिर्फ लिखती ही नहीं ,लेखनी बोलती है ,लेखनी कहती है ,लेखनी अंतर्मन में छुपे भावों को शब्दों के रूप में पिरोकर कविता,कहानी,लेख के रूप में परोस्ती है। समाजिक परिस्थितियों से प्रभावित दिल के उद्गारों के प्रति सम भावना लिए लेखक की लेखनी -- वीर रस लिखकर यलगार करती है,लेखनी प्रेरित करती है देश प्रति सम्मान की भावना जो प्रति जन-जन में छिपी  देश प्रेम की भावनाओं को जागृत कर देश के शहीदों के प्रति सम्मान और गर्व का एहसास कराती है । वात्सल्य रस, प्रेम रस,हास्य रस,वीर रस ,लेखनी में कई रसों के रसास्वादन का रस या भाव होते हैं । महापुरुषों के जीवन परिचय को उनके साहसिक एवम् प्रेरणास्पद कार्यों को एक लेखक की लेखनी स हज कर रखती है ,और समय -समय महापुरुषों के जीवन चरित्र पड़कर जन समाज का मार्गदर्शन करती है । लेखनी का रंग जब एहसासो के रूप में भावनाओं के माध्यम से काग़ज़ पर संवरता है और जन-मानस के हृदय को झकझोर कर मन पर अपन...