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Showing posts from October 18, 2022

दीपावली

आओ इस बार दिवाली कुछ अलग अंदाज में मनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं   चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते है  बंदनवार सजाते हैं रंगोली बनाते हैं ... इस बार दिवाली की सफाई में मन में छिपे सारे.. शिकवे - शिकायतों की गंदगी हटाते हैं  आओ हम सब मिलकर अपने-अपने दिलों में परस्पर के प्रेम के दिये जलाते हैं , अमावस्या की रात में रोशनी का माहौल बनाते हैं  आतिशबाजी से आसमान जगमगाते हैं   प्रकाश का उत्सव मनाते हैं .. अपने प्रभु ईष्ट के स्वागत में द्वार - द्वार दीपक का प्रकाश कर वातावरण को शुद्ध साकारात्मक बनाते हैं  थोड़ा आप मुस्कुराओ थोड़ा हम मुस्कुराते हैं चेहरों पर  हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं  परस्पर प्रेम का संचार शुभकामनाओं के उपहार देते जाते हैं .....  इस बार दिलों के अंधकार मिटाते हैं  निस्वार्थ प्रेम से अपनत्व के बीज बोते जाते हैं ... चेहरों पर हंसी की फुलझडियां खिलाते हैं .....