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Showing posts from May 15, 2024

संवेदना प्रकृति का आधार

 संवेदनशील होना साधारण बात नहीं संवेदनाऐं प्रकृति प्रदत दिव्य उपहार है संवेदना ही मनुष्य को मनुष्य होने का एहसास कराती है।  जाने कहाँ से उपजा होगा संवेदनाओं का  अथाह सागर... जिसके रत्न हैं उपकार त्याग, दया, प्रेम, सहनशीलता आदि...  संवेदनाऐं ही प्रकृति का आधार है.. तभी तो कुटुम्ब परिवार हैं, रिश्ते-नाते और त्यौहार हैं।  संवेदना रहित मनुष्य को, दिखता बस स्वार्थ है।  अंहकार का नशा करता अत्याचार है...  भ्रम में जीता, उजाला समझ.. अंधी गलियों में बसाता संसार है - - फिर अंत मे होती हाहाकार है।।  संवेदना विहीन धरा पर भार है।।