#किस मनुष्य ने किस विषय का चयन किया है उसके चरित्र का दर्पण बोलता है, फिर दर्पण ही जीवन के सच के रहस्य खोलता है। #यूं ना कहो हम बदल रहे हैं वक़्त के अनुसार अपने किरदार में ढल रहे हैं जीवन जीने की कला में निपुण हो रहे हैं #रहस्य मय जगत ,रहस्य अदृश्य अनेक । दामिनी जल मध्य ,जलकण जैसे मेघ ।। #वाणी का अपना मोल, मृदुभाषी मीठा बोल। वाचाल हुआ बेमोल,मौन भाषा अनमोल ।। #इंसान होना भी कहां आसान है कभी अपने कभी अपनों के लिए रहता परेशान है मन में भावनाओं का उठता तूफान है कशमकश रहती सुबह-शाम है बदनाम होताा इंसान है, इच्छाओं का सारा काम है # अपने मालिक स्वयं बने,स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें। #आत्म विश्वास यानि स्वयं में समाहित ऊर्जा को पहचानना और उसे उजागार करना । तन की दुर्बलता तो दूर हो सकती है परन्तु मन की दुर्बलता मनुष्य को जीते जी मार ...