महक रहा है सारा माहौल चमेली के इत्र की महक अपराजिता के पुष्पों का सौन्दर्य तन - मन की भुलाकर सुध आया सावन झूम के वृक्षों में हरियाली आयी फल - फूलों से लदे हैं वृक्ष क्यों कर रही हो प्रकृति इतना श्रृंगार चहूं और आ रही है बहार वर्षा संग रिमझिम बूंदो की फुहार पत्ता- पत्ता डाली- डाली मोती रुपी पानी की बूंदें मानों हो कोई त्यौहार .. खुशियों का संसार हर कोई कर रहा है श्रृंगार हरी- भरी चूडियां बजती पैरों में पहने नुपुर मानों बजाते हों की संगीत की धुन ..झूमों सखियों झूमों आया सावन के झूम के झूम- झूम के सावन के गीतों का मौसम आया, गुजिया घेवर और पकवान भी संग लाया ,भर लो मिठास जीवन में, आया सावन झूम के सदाबहार रहे सावन की शान कर लो जी भर श्रृंगार मेंहदी के रंग से रचाओ हाथों में सुन्दर आकृति ...कलाईयों में हरी- भरी चूङियां प्रकृति ने भी किया श्रृंगार हरियाली की आयी बहार आया सावन झूम के ....पेङों की...