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Showing posts from July 11, 2023

पानी- पानी.

 बेहद बेअंत आसमान से भर - भर बरस रहा है पानी  आज फिर आकाश जी भर कर.रोया है  धरती मां का आंचल जी भर कर भिगोया है जाने.कौन- कौन से.दर्द को पानी में बह गया होगा धरती भी हुई पानी-पानी पास रह ना पायी कोई निशानी  सब कुछ  बहता गया जलधार में  जाने कब से भर रहा होगा नील गगन मेघों के रुप में  एकत्रित हो होकर जब सहनशीलता हद से बाहर हो गयी होगी  तभी बहा होगा इतना पानी नदियों में तालाबों में जलाशयों मे भर गया  होगा जल सारा  धरती पर हरियाली होगी पेङों  की डालों पर पङ गये होगें झूले बहुत सूकून से नीलगगन  में मानों सब आर- पार इतना. स्वच्छ आसमान मधुर मीठी ठंडी हवा मन को सहला रही है  मन को सूकून सम्पूर्णता की खुशी सब ओर.नजर.आ रही है ....