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Showing posts from May, 2023

भारत की शान स्वर्ण पदक विजेता पहलवान

#भारत की शान  ..भारत का सम्मान पहलवान खिलाडी  इन खिलाडियों को इनके हिस्से का सम्मान मिलना आवश्यक है ..जैसे अन्य खिलाडियों को मिलता है .. जैसे क्रिकेट फुटबाल आदि ...   भारत के पहलवान कुश्तीि खिलाङी जिन्होनें अपने देश भारत  की मेजबानी कर भाभारतीय कुश्ती खिलाङी के रूप में भारत  के लिए खेल अपना बेहतरीन  प्रदर्शन कर  विश्व पटल पर भारत  का नाम  ऊंचा किया भारतीयों को गौरवान्वित पल दिये ..आज उन्हीं स्वर्ण पदक विजेताओं की दुर्दशा निंदनीय हैं .. जबकि भारत  एक लोकतांत्रिक देश है ..लेकिन  तानाशाही का राज ..लोकतंत्र की सांसे बंद करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है जो निंदनीय है .. भारत  देश  का सम्मान  भारत  का गौरव  भारत  को स्वर्ण पदक दिला गौरवान्वित करने वाले पहलवान  खिलाडियों के साथ  न्याय  होना चाहिए  .. #पहलवान खिलाडियों का सम्मान भी किसी क्रिकेट खिलाडीयों के सम्मान की तरह ही होना चाहिए  ...

अतिथि देवो भवः

मेहमान नवाजी ..सिर्फ घरों में ही नहीं होती ..शहरों और देशों में भी होती है..जैसे हम किसी के घर पर आने पर साज - सज्जा करते हैं ऐसा ही दृश्य  #G 20 वसुधैव कुटुम्बकम की मीटींग के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में भी देखने को जिन- जिन जगहों से विदेशी मेहमानों को होकर गुजरना था.वह सभी स्थान चकाचक चमका दिये गये पेड पौधे लग गये सङकें बन गयी ...  ऐसा लग रहा था मानों कोई  नयी दुनियां हो.. दिल कह रहा था अच्छा है ..किसी बहाने ही सही विकास तो हुआ इसके विपरीत स्थानिय निवासियों की शिकायतें तो बस धरी की धरी रह गयीं ..टूटी सङकें गड्ढे ज्यों के त्यों... काश ! विदेशी मेहमान  शहर के बीच  में भी भ्रमण करने की इच्छा जता दें ..तो कम से कम शहर के कुछ और हिस्से का सौन्दर्यीकरण हो जाये.कुछ  सुधार हो जाये ..  

जंगल के राजा गजराज

राजा जी आज जंगल से बाहर निकले हैं.. नदिया किनारे भ्रमण करने शायद उन्हें भी तपती गर्मी में प्यास लगी ..  

ऋषिकेश स्वर्णिम धरा

 

प्रकृति सम देव नहीं ..

  प्रकृति देवो भवः .. प्रकृति सम देव देव नहीं प्रकृति साक्षात देव  यत्र प्रकृति पूज्यन्ते तत्र देवता रमणयंते प्रसन्नचित्त रमते ..

विश्राम से प्रारंभ

विश्राम यानि मन को आराम   प्रारम्भ एक नई ऊर्जा के साथ   हलचल मचा दे एक ऐसा आगाज  फिर जो सजे साज हो सबके दिलों की आवाज .. आजकल मैं छुट्टी पर हूं  वक्त की पाबंद नहीं  मनमर्जी की करती हूं .. फिर भी कुछ कायदे मेरा पीछा करते हैं  मेरे चैन को बेचैन करते हैं  मुझे समय की अहमियत बताते हैं .. तुम फिर आ गये .. कहा था ना मत आना मुझे चैन से रहने दो  कुछ पल सूकून से जीने दो पर तुम  तो ना.. समय बोला मैं बहती नदिया की रफ्तार हूं  रुक जाऊं मेरा स्वभाव  नहीं  धीरे- धीरे ही सही पर रफ्तार  बनाए रखना  रुक गये तो कई  विकार जन्म ले लेगें  बहते रहोगे आगे बढते रहोगे तो भी मन को विश्राम  मिलेगा ..

रिटार्यर्मेंट नजदीक है

रिटायर्मेंट नजदीक है तुम्हारा  भावपूर्ण विदाई देगें तुम्हें .. यूं तो उम्र तुम्हारी बहुत लम्बी ही होती है .. कलयुग का प्रभाव तुम पर भी पङ गया  खिलवाड तुम संग भी हो गया  तुम्हारे भी हमशक्ल मिलने लगे बाजार  में  असली - नकली का भेद भरमा रहा  अब तुम्हारे जाने का वक्त  आ गया ..   यूं तो तुम  हम सब के बहुत  प्यारे हो  दो हजार  के नोट प्यारे हो  छोटे पैकेट बङा धमाका हो  हम सब के बहुत काम आते हो  हम सब की खुशियों की चाबी हो  एश ओ आराम हमारे हो .. पर जाने का समय आ गया है तुम्हारे  विदाई तो देनी पढेगी  कुछ  पल के मेहमान  हो  रिटार्यर्मेंट का वक्त नजदीक है तुम्हरा  कुछ खुशियां खरीद लेगें तुमसे  तुम से ली गयी निशानियों को याद  करके  तुम्हारे ना होने पर तुम्हें याद कर लेगें  खट्टे - मीठे अनुभव संजो लेंगें .. तुम रह जाते तो बात अलग होती  छोङ जाते तुम्हें अपनों के सहारे के लिए..   पर अब  तुम्हें जाना पङ रहा है  याद तो बहुत आओगे तुम.. मुश्किल समय के लिए  छोटा पैकेज बङा धमाका थे  पर अब ....

अद्वैत परमानन्द

भगवान थे साधारण मानव नहीं ..इसीलिए तो मर्यादा में रहे .. समाज को प्रेरणा देनी थी ..    कुछ लोगोॅ का कहना है कि श्री राम भगवान का अवतार थे .. तो जब रावण उनकी भार्या सीता का अपहरण कर ले गया तो  श्री राम भगवान थे तो उन्होंनें तुरंत कुछ किया क्यों नहीं... क्यों  स्वयं भगवान  साधारण मनुष्य की तरह वन- वन भटकते फिरे .  श्रीराम को समाज को संदेश देना था.. क्योकि वो भगवान  थे इसीलिए  उन्होंनें कोई  भी कार्य  धर्म विरुद्ध  नियमों की सीमा तोङकर नहीं किया ..श्रीराम जी का चरित्र  आज भी और युगों -युगों से युगों- युगों तक समाज  के लिए  रामचरितमानस के रुप में प्रेरणास्रोत बन समाज  का मार्गदर्शन करता है .... भारत भूमि की दिव्यता है कि  इस दिव्य धरा पर स्वयं भगवान   शिव शंकर आदि अंनत दिव्य शक्ति जगत कल्याण हेतु जगत जननी मां पार्वती संग कैलाश पर्वत पर  गृहस्थ जीवन यापन कर संदेश  हैं ..  तब जीवन का धर्म निभाते हैं  अंहकार दक्ष का जब भंयकर अथाह मां पार्वती  का अपमान करता है शिव का रौद्र रुप आह ! कर तांडव करते है मां पार्वती की महिमा को दर्शाने  ताड़न की पीड़ा सहकर अंहकार को भस्म करते हैं.. भारत भूमि की दिव्

हलचल फिर शुरु हुई

व्यवस्था में सुधार हेतु कार्यक्रम चला  उठापटक हुई शुरू  कुछ हिला ,कुछ गिरा अस्त-व्यस्त सब पड़ा हुआ था  इधर- उधर सब हो रखा  था हलचल स्वाभाविक ही हो रही व्यवस्था थी चल रही   जेबों में जो कुछ था पङा .. सब कुछ छंट रहा  लगता है कुछ चल रहा है  पुराना हिसाब- किताब खुल रहा  देना - लेना अदा हो रहा  लगता है कुछ  तो व्यवस्थित  हो रहा  कुछ तो काम हो रहा  चलाचल चलाचल  हलचल भी कराकर  फिक्र बस इतनी सी कराकर   लहरों का आना -जाना रहे पर मगर  संग ना किसी को गुम करा कर .. सम्भालकर ..सम्भलकर बस जो मन चाहे वो किया कर ..

परवरिश बाल मन की.

नन्हें मुन्नों की जिन्दगी और  हमारा नजरिया ( बाल अधिकार )   निसंदेह ! इसमें कोई  दो राय नहीं कि आज जो बाल हैं .. आने वाले समय में वो देश का भविष्य होंगें ।  बाल  मन कच्ची मिट्टी के घङे के सामान ही होता है.... जैसा आकार  देगें वैसे ही बन जायेगें ...  स्वार्थ  से ऊपर उठकर  ... स्वयं की सुख सुविधाओं से ऊपर  उठकर  .. बालों को अच्छे संस्कार दें । घर परिवार  में वातावरण  साकारात्मक  रखें  ... आपसी मनमुटाव  बहस - बाजी से बचें ...  आज के बालमन पर सोशल मिडिया का भी बहुत  अधिक  प्रभाव  है ... प्रारंभ  से ही कार्टून  देखते  बच्चे भावों से रहित  होकर  कार्टून  जैसी हरकते करते हैं ... थोड़े से बङे हुये तो गैजेट्स की दुनिया हर काम  गैजेट्स  पर निर्भर  ...भावनाएं कहां से विकसित  होगीं ....हिंसात्मक ..अपराध  की दुनियां ...सोशल मिडिया पर यह सब देख- देख कर  बच्चों को कुछ भी हिंसात्मक  करना सामान्य  सा लगता है .... इस लिए घर पर अभिभावकों को बच्चों के साथ  बैठकर  सोशलमिडिया  के फायदे और नुकसान  बताना चाहिए यानि सही और गलत का फर्क  समझाना चाहिए  ... आज का युवा वर्ग बहुत  भटक रहा है सोशल  मीडिया के आकर्षण 

धरना प्रदर्शन..

 #धरना, हड़ताल,प्रदर्शन.हल्ला बोल किसी को कोई  फर्क  नहीं पड़ रहा.. मेरे भाइयों और बहनों..सुख- चैन आप सब का छिन है  .आप सब का कीमती समय बर्बाद हो रहा है.  जानती हूं जिस पर बीतती है उसी को पता चलता है  आपका दर्द आपकी तकलीफ का एहसास  है ... परंतु अंदर खूब घोटाला है ..अन्याय की ऊंची मीनारों से न्याय  बाहर झांकने में बेबस है सब माया के भ्रम जाल में फंसे हैं सब  ...आंखों में बांधे काली पट्टी....  दर्द है तकलीफ है एहसास  है मन कोसता है स्वयं को..  चाह कर भी राह नहीं मिलती ..अर्जुन के निशाने की तरह लक्ष्य पर नजर रखिये ..नियति अपना खेल जरुर खेलेगी ... परंतु अंदर खूब घोटाला है ..अन्याय की ऊंची मीनारों से न्याय  की उम्मीद.. उन्हें न्याय  की परिभाषा भी नहीं ज्ञात    अन्याय  का मकङ जाल में सब फंसे हुए हैं ... कोई  नया तरीका अपनाओं अन्याय को जङों से  उखाङ  फेंकना है ... करना आप ही कहोगे न्याय  के आंखों में पटटी बंधी है ..... कानून अंधा होता है ...

केरल .. अघोष ..

 * फिल्म केरल दा स्टोरी * देखने का अवसर  मिला    ओ माय गोड ..विपुल शाह एवं सुदीप्त सेन ...Hats of you to Direct ..& produce this movie ... सम्भल जाओ युवा पीढीयों .. सोच- समझकर  कदम उठाना ... अब समय आ गया है .. जागरूक  होने का .. हिन्दुस्तान शाश्वत सत्य सनातन धर्म की पहचान है ..हिन्दुत्व स्वयं सिद्ध धर्म है . हिन्दूओं के भगवान अनन्त सृष्टिकालक  आदित्य देव दिव्य  प्रकाश  हैं ... श्रीराम  अवतरित  देव हैं ..श्री कृष्ण  जीने की कला सिखाते ... हम हिन्दू हैं ..हम हिंदू हैं और हिन्दू ही रहेगें ..हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता अनन्त आकाश की गूंज है अथाह समुद्र की गहराई है.   हिन्दुस्तान का शाश्वत इतिहास धरती पर प्राणियों के जीवन से  प्रारंभ हुआ है ..हिन्दुत्व की जङें बहुत  गहरी हैं ....इन्हें हिलाना धरती पर प्रलयकारी हो सकता है ...

दुआओं में कहता है यह मन

अक्सर  दुआओं में कहता है यह मन  थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये   एक दूजे शुभचिंतक बन जाये  ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन   फिर क्यों ना पुष्पों सा जीवन बिताएं हम  फलदार वृक्ष बन जायें हम नदियों का जल बन जायें हम ..  आंगन की शोभा बन बागों की रौनक बढायें हम  हवाओं में घुल- मिल सुगन्धित संसार कर जायें हम अक्सर दुआओं में मागता है यह मन  खुशियों से मालामाल रहे सबका जीवन   आप भी मुस्कराये हम भी मुस्करायें  बागों में फिर  से बहार  आये  जीने की अदा सबको सिखाये  बगीचों की शोभा बन हर एक के चेहरे  पर रौनक ले आये हम..परमपिता की दिव्य दृष्टि का प्रसाद निरंतर पाये हम  खुश रहें आप और हम  सफर पर हैं हम ना जाने कब जाना हो मगर   जब तक है जीवन कुछ जीवन जीने की  बातें कर लें आप और  हम  सफर में यादों के कैनवास पर बेहतरीन  सुन्दर आकर्षक चित्र  ही उतारें हम .. बेहतरीन यादों का कारवां तैयार  करें हम  अक्सर दुआओं में कहता है यह मन  थोङा आप मुस्कराओ थोङा हम मुस्कराये  बन एक दूजे शुभचिंतक बीत जाये जीवन  सच भी है अद्भुत वसुन्धरा के सफर पर हैं आप और  हम  ऊपर वाले ने भेजा है देकर जीवन  हवाओं में घुल- मिल सुगन्ध

धर्म की बातें

धर्म अनन्त अथाह आकाश की गूंज धर्म  को ना जातिवाद  में ढूंढ  धर्म  परस्पर प्रेम  का आधार  सच्चा धर्म  स्वयंमेव सिद्ध चमत्कार  सेवा,दया,निस्वार्थ प्रेम परोपकार   सत्य धर्म का आधार.  धर्म  साकारात्मक  उर्जा का संसार  धर्म ना जातिवाद  में बसता  धर्म ह्दय प्रेम की मिठास   धर्म ना कोई  चमत्कार धर्म  का ना बनाओ बाजार   धर्म है ह्रदय  प्रेम  रसधार  ...

आकर्षण

 दुनियां आकर्षणों से भरी पङी है   मन को रिझाती है आंखों को आनंद  देती है  खुश रहने की खातिर मनुष्य दूर बहुत दूर तक निकल आता है  पर क्या उसे सच्ची खुशी मिलती है .. शायद  ..भीतर एक खालीपन  एक अधूरापन रह जाता है .. आगे बढता जाता है.बेहतर कुछ पाने के लिए   पीछे ना जाने क्या- क्या कीमती चीजें छोङ देता है  वैभव तो गहराई  में स्थित  बाट देखता रहता है .. बाहर नहीं भीतर है वैभव स्वयं के ही भीतर  स्वयं मालिक होकर भी अंजान  दस्तक देता है वो कई बार   बाहर नहीं भीतर  है वैभव   आंखे खुलते ही भटक जाता है मन  अटक जाता है मन संसार  के आकर्षणों में  आंखे मूंद कभी- कभी कर लिया करो भीतर  की यात्रा भी  संसार के समस्त वैभव, सुख- समृद्धि ,संतुष्टता  के खजाने  भीतर  ही मिलेंगे ... माना की आकर्षक दुनियां है हमारे लिए  .. एक पर्यटक की भांति आनंद  लेने के लिए  . बेहतरीन यादों को समेटे हुए  अपने घर लौट जाने के लिए  ...

देर से ईलाज मंहगा पङता है

काश की  पहली गलती पर  रोक लगा दी होती  काश की पहले ही ना बढने दिया होता अपराध का पहला कदम अपराध का इतना बढा साम्राज्य  पहली गलती पर रोक लगा दी होती   ना बढता अपराध का इतना बढा साम्राज्य  क्योकि कई चुप रहे ..कानों कान फुसफुसाते रहे  मुंह से बोल किसी के ना निकले   चुप्पी ने तुम्हारा तो समय निकाल दिया  तुम्हें तो निकल लिए  चुपचाप.. फर्स्ट  सटेज पर  ईलाज होता कामयाब  ना होती भीषण तबाही  लङाई होती कुछ ही से .. लेकिन अब पूरी कौरवों की सेना तैयार है  मुंह सबका काला हो रहा है अपराधो के भयावह जाल में  आगे यह लडाई बहुत मंहगी पढेगी  ईलाज की तो बात ही क्या .?  धूम्रलोचन ,मधुकैटव  सक्रिय हैं .. सत्य की मशाल जला आहुतियां मांग रहा है काल  बलि चढाने को अपराध  की स्वयं अवतरित हो आ रहे हैं महाकाल  .. खा रही हैं आने वाली पीढी को अपराध की जहरीली जङें  तुम्हारी तो कट गयी अब तोड़ो चुप्पी  बोल दिया करो समय  रहते जङों तक जहर जब फैल जाता है तो इलाज  मुश्किल होता  है .. बहुत  मंहगा पङता है इलाज  ... आने वाले पौधों में शुद्ध  सात्विक नैतिक मूल्यों से ओतप्रोत गुण भरने होगें ...जिससे आने वाले समय में यह गलतियां ना

दुर्योधनों का अंत करो

 महाभारत का काल है   हाल  हुआ बेहाल है  दुर्योधनों की भरमार  है   कौरवो  की सभा लगी है   दुर्योधन बेअंत  धृतराष्ट्र मोह स्वच्छंद   गांधारी सम यह समाज द्रोपदी चीख चिल्ला रही  भीष्म पितामह  प्रतिज्ञाबद्ध मानों जैसे मूक बधिर  यह कैसा काल है ..हाल  हुआ बेहाल है  चीर हरण को दुर्योधन भरे पङे हैं दुशासन बेअंत..हैं कलियों को कब तक कुचलोगे  मत जहर उनमें भरो  महाभारत को ललकार रहे सत्य धर्म को सुदर्शनधारी  चक्र ऐसा चलायेगें   दुर्योधन दुशासनों के सिर  धाराशाही हो जायेंगें  मां काली करे रौद्र भंयकर  मधु केटव मारे जायेगें  रक्त बीजों अब शून्य  हो जायेगें अंत अब निश्चित है .. अनगिनत कौरवों पर  पांच पांडव भारी पढ जायेगें  एक हुंकार लगायेंगे शिव तांडव के प्रलयकाल में  समस्त  कौरव मारे जायेगें .. यही सत्य  की रीत है  .. होती सत्य  की जीत  है .. आज  के आधुनिक  समाज का हाल भी महाभारत  जैसा है ..मैं तो कहूँगी उससे भी भंयकर बुरा हाल ..आज भी कौरवों की सेना विशाल जरूर है और जहरीली फसलों की जङें भी बहुत गहरी ....समय लगेगा ..कहते भी हैं ना सत्य  प्रताड़ित अवश्य  हो सकता है ..किन्तु पराजित  नहीं ..अब समय आ गया

पूर्णिमा का चांद हमका सबका चांद

चांद  है चांदनी है रात की रागिनी है  जल में चमकती शीतल कामिनी है  चांदी सी जल धारा कहती कोई  कहानी है  सौन्दर्य, प्रेम ,शीतलता की दुनियाभर में अनगिनत कहानियां है  ना जाने कितनों का साक्षी होगा..कस्मों का वादों का मोहब्बत के तरानों का  दास्तानों का दिवानों का .. पूर्णिमा का चांद  ए चांद चल रास्ता बता अपने जहां का  आना है तेरे जहां में अब दूर से दीदार  कर दिल नहीं भरता  इतनी शीतलता सौम्यता कहां से लाता है  अपनी चांदनी से हमको रिझाता है  मन में खूबसूरत के ख्याल लाता है   ऐसा क्या है तेरे जहां में जो हर-ओर से खूबसूरत नजर आता है  राज क्या है बता तेरे ख्याल से मन खूबसूरत सवालों से क्यों भर जाता है.. चांद  है चांदनी है रात की रागिनी है  जल में चमकती शीतल कामिनी है