भगवान थे साधारण मानव नहीं ..इसीलिए तो मर्यादा में रहे ..
समाज को प्रेरणा देनी थी ..
कुछ लोगोॅ का कहना है कि श्री राम भगवान का अवतार थे ..
तो जब रावण उनकी भार्या सीता का अपहरण कर ले गया तो
श्री राम भगवान थे तो उन्होंनें तुरंत कुछ किया क्यों नहीं...
क्यों स्वयं भगवान साधारण मनुष्य की तरह वन- वन भटकते फिरे .
श्रीराम को समाज को संदेश देना था.. क्योकि वो भगवान थे इसीलिए उन्होंनें कोई भी कार्य धर्म विरुद्ध नियमों की सीमा तोङकर नहीं किया ..श्रीराम जी का चरित्र आज भी और युगों -युगों से युगों- युगों तक समाज के लिए रामचरितमानस के रुप में प्रेरणास्रोत बन समाज का मार्गदर्शन करता है ....
भारत भूमि की दिव्यता है कि
इस दिव्य धरा पर स्वयं भगवान
शिव शंकर आदि अंनत दिव्य शक्ति जगत कल्याण हेतु
जगत जननी मां पार्वती संग कैलाश पर्वत पर
गृहस्थ जीवन यापन कर संदेश हैं ..
तब जीवन का धर्म निभाते हैं
अंहकार दक्ष का जब भंयकर अथाह मां पार्वती
का अपमान करता है शिव का रौद्र रुप आह ! कर तांडव करते है मां पार्वती की महिमा को दर्शाने
ताड़न की पीड़ा सहकर अंहकार को भस्म करते हैं..
भारत भूमि की दिव्यता है कि
इस दिव्य धरा पर स्वयं भगवान
अवतार लेने को विवश हो जाते हैं
कभी गोपाल बन गैय्या चराते हैं
गाय को माता सम पूजवाते हैं
गोवर्द्धन की पूजा करवा प्रकृति
स्वयं सिद्ध देव पूजा करवाते हैं ..
राक्षस कंस के वध हेतु अवतरित हो लीला रचाते हैं
गोपियों का आत्म दर्शन करवाते हैं ..
श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम ..
जीवन में मर्यादा का पाठ सिखाने अवतरित हो आते हैं
जीवन जीने की कला सिखाते प्राण जाये पर वचन ना जाये
जीवन में नियम कायदों का महत्व समझा
सत्य अमर है ,सत्य शाश्वत जीत सत्य की
अधर्म नश्वर धर्म अमर विश्व विजय पताका फहराते ..
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