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Showing posts from September 30, 2022

नवदुर्गा

नव दुर्गा हूं नौ रुपों में  घर- घर पूजी जाती हूं  मां गौरी की महिमा भक्तों को बतलाती हूं  कन्या रुप में जन्म लेकर मैं ही तो सबके घर आती हूं  सौभाग्य शाली हैं वो जन होते जो मेरी महिमा गाते हैं  सृष्टि की आधार शिला हूं .. शक्ति मैं कहलाती हूं  महागौरी और महाकाली भी मुझमें ही तो समाती है  समस्त जगत की आधारभूता हूं  सरस्वती ,लक्ष्मी जन- जन की पालनकर्ता  मैं शक्ति रुपा शकिस्वरुपा  मैं ही कन्या रुपा मां गौरी कात्यायनी हूं  समस्त जगत का भार उठाती  बोझ समझ जो पीछा छुड़ाते  अपने भाग्य को स्वयं सुलाते  ऋद्धि - सिद्धि के भंडारे मुझमें ही तो बसते हैं मां की महिमा को मानकर  मां का स्वागत करते हैं  मन- मंदिर में सच्ची श्रद्धा से जो‌  मां की भक्ति करते हैं  जगत जननी की कृपा से धन्य - धन्य हो जाते हैं ।।