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Showing posts from July 13, 2021

एकांत में थकान से वार्तालाप

 सुप्रभात 🙏🌹🙏  नव दिवस नव प्रभात  नव पल्लव ‌‌‌‌‌‌‌‌नवसृष्टि  एकांत में थकान से वार्तालाप हुई बोली मुरझाना नहीं थकान अंत तो नहीं  विश्राम रात्रि का, मन को दो विश्राम  मन साध कर एक नयी शुरुआत करो  एकांत में थकान से वार्तालाप करने से मन को मिलेगा विश्राम  सुलझेंगी उलझनों की गांठें  तनाव रहित होंगी दिन और रातें ‌‌ निश दिन देगा जो मन को विश्राम  सुधरेंगे जीवन के कई बिगड़े काम  जीवन हर पल देता एक नया आयाम  बुझे चिराग़ों को श्रद्धांजलि ‌‌‌‌‌‌‌‌देकर नव दीपकों का प्रकाश ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌रोशन कर क्योकि समाज में ना रहे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌अंधियारा  ।।   

वसुन्धरा

  वसुन्धरा** जिस धरती पर मैंने जन्म लिया , उस धरा पर मेरा छोटा सा घर मेरे सपनों से बड़ा ।। बड़े -बड़े अविष्कारों की साक्षी वसुन्धरा ओद्योगिक व्यवसायों से पनपती वसुन्धरा । पुकार रही है वसुन्धरा ,कराह रही है वसुन्धरा । देखो तुमने ये मेरा क्या हाल किया मेरा प्राकृतिक सौन्दर्य ही बिगाड़ दिया । हवाओं में तुमने ज़हर भरा में थर-थर कॉप रही हूँ वसुन्धरा अपने ही विनाश को तुमने मेरे दामन में फौलाद भरा तू भूल गया है ,ऐ मानव मैंने तुझे रहने को दी थी धरा । तू कर रहा है मेरे साथ जुल्म बड़ा मेरे सीने में दौड़ा -दौड़ा कर पहिया मेरा आँचल छलनी किया । मै हूँ तुम्हारी वसुन्धरा मेरा जीवन फिर से कर दो हरा -भरा उन्नत्ति के नाम पर धरा पर है प्रदूषण भरा जरा सम्भल कर ऐ मानव प्राकृतिक साधनों का तू कर उपयोग जरा तुमने ही मेरा धरती माता नाम धरा ये तुम्हारी ही माँ की आवाज है ,सुन तो जरा ।।।।।