मंगल हुई सभी दिशाएं अष्टमी कन्या पूजन से देवी मां प्रसन्न हुई नवमी तिथि श्रीराम जन्म से वसुन्धरा प्रपन्न हुई हरियाली फिर समृद्ध हुई शीत ऋतु अब बंसत हुई शीतल समीर मंद हुई नर्म वायु की तासीर से फलों से मरकंद बहे स्वर्णिम पर्वत शिखर हुए दिनकर की मीठी तपिश से मन की प्रसन्नता स्वच्छंद हुई बागों में सुगन्धित पुष्प गंध बही देव आगमन हो रहा है वसुन्धरा भी समृद्ध हुई चित्रकला प्रकृति की रंगों में चरितार्थ हुई गेंदा,गुलाब, गुङहल सूरजमुखी आदि अद्वितीय पुष्पों से वसुन्धरा का श्रृंगार हुआ सर्वप्रथम जगतजननी के आगमन का आह्वान हुआ नयनों में शोभा भरकर ह्रदय भक्ति रस पान करो प्रकृति दे रही भव्य संदेशा..मन में रखो शुभ भावना सर्वहित रखो कामना ..नौ द्वारों से नौ रुपों में नवदुर्गा वरदान है दे रही झोली भर लो उम्मीदों की किरण यही है श्रद्धा समर्पण संकल्प सिद्ध कर लो.. सत्य धर्म ही सर्वोपरि त्याग,दया , क्षमा भाव ही मंगल जीवन के अधिकारी उठो जागो शुभ मंगल द्वार पर तेरे दस...