चांद है चांदनी है रात की रागिनी है
जल में चमकती शीतल कामिनी है
चांदी सी जल धारा कहती कोई कहानी है
सौन्दर्य, प्रेम ,शीतलता की दुनियाभर में अनगिनत कहानियां है
ना जाने कितनों का साक्षी होगा..कस्मों का वादों का मोहब्बत के तरानों का दास्तानों का दिवानों का ..
पूर्णिमा का चांद
ए चांद चल रास्ता बता अपने जहां का
आना है तेरे जहां में अब दूर से दीदार कर दिल नहीं भरता
इतनी शीतलता सौम्यता कहां से लाता है
अपनी चांदनी से हमको रिझाता है
मन में खूबसूरत के ख्याल लाता है
ऐसा क्या है तेरे जहां में जो हर-ओर से खूबसूरत नजर आता है
राज क्या है बता तेरे ख्याल से मन खूबसूरत सवालों से क्यों भर जाता है..
चांद है चांदनी है रात की रागिनी है
जल में चमकती शीतल कामिनी है
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