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दीपों की बारात सजी है


दीपों की बारात सजायी .. मन में खुशी की बजी शहनाई 

देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....

 शुभागमन देवों का 

स्वागत के शुभारंभ में 

बंदनवार सजाये ..  

सुन्दर आकर्षक रंगोली आंगन में बनायी 

दिवारों पर चमकीली झालरें लटकायीं 

आलों में दीपक जलाये 

अदिति सत्कार में पकवान बनाये 

कुछ स्वादिष्ट मिष्ठान बाजार से ले आये

देव आगमन श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में 

राहों में अपनी पलकें बिछाई 

अमावस्या की रात थी चन्द्रमा भी छुट्टी पर था .. 

जगमगाते दीपकों के प्रकाश से सारी नगरी जगमगवायी 

कुछ आतिशबाजी भी आसमान की ऊंचाईयों में जगमगवायी ...

देव आगमन में हमने दीपकों के प्रकाश से थाली भी सजायी ..  मानों सितारों की मण्डली हो धरा पर हो उतर आयी ...

श्री विष्णु लक्ष्मी जी के स्वागत में हमने दीपावली मनायी 

चेहरों पर खुशी की फुलझडियां खिलायीं‌ ...

यूं ही जगमगाती रहे जीवन में खुशियों की फुलझडियां 

ऋद्धि - सिद्धि .. सुख - समृद्धि से सम्पन्न हो‌ जीवन का हर पल ... देव अतिथि बनकर आयें फिर शुभ ही शुभ क्यों ना हो भला .....


 

Comments

  1. सुन्दर रचना। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l

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