लहरों का काम है सारा
जो चैन से जीने नहीं देती मुझे
इसके लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराना
भीतर का कौतूहल है जो टिकने नहीं देता
लहरों का आना-जाना लगा रहता है
लहरें बहुत उझाल मारती हैं
दूर तक जाकर पलट देती हैं
डर लगता है, जाने यह लहरें मुझसे
क्या चाहती.. मैं जो हूं, उससे जुदा होने के
लिये मजबूर करती हैं
अद्भुत विडम्बना तो देखो
जो पास है,उसके लिए खुश
होने की बजाय,जो पास नहीं है
उसके लिए रोने को मजबूर करती हैं ।।
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