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बदलते मंजर


 #अंजाम की परवाह किये बिना 

जीवन जीने के रंग - ढंग बदल रहे हैं 

लोग कहते हैं हम आगे बढ़ रहे हैं 

आगे बढ़ने की होड़ में सब लड़ मर रहे हैं 

वो कहते हैं जी रहें हैं हम ...

नशे के धुंऐं में पल- पल भर रहे हैं #

बदलाव का दौर हैं 

रंग बदल रहे हैं ढंग बदल रहे हैं ‌‌

तस्वीरों के आकार बदल रहे हैं 

बदले - बदले से मंजर हैं बदले- बदले से हम हैं 

परिधान बदल रहे हैं 

आचार बदल रहे हैं व्यवहार बदल रहे हैं 

इस बदलाव के दौर में..  दिखावे की राह में सब भटक रहे 

कुएं में सब गिर रहे 

 हैं ... रोशनी को ताकते हुये चित्रकार बदल रहे हैं 

चित्र बदल रहें हैं .. चित्रकार बदल रहे हैं 

बदलो मेरे अपनों कोई ग़म नहीं 

 तुम्हारी खुशी से बढ़कर कुछ भी नहीं 

किसी का ना सही ... कोई ग़म नहीं पर अपना जीवन तो खुशहाल बनाओ 

बदलाव लाओ .. जिन जड़ों से तुम सम्भले हो जिनसे तुम्हारे ताड़ जुड़े हैं... उन जड़ों से अलग हुए तो बिखर जाओगे  ..... तोड़ ना कभी उस डोर को जिससे तुम आगे बड़े ..  अपने पैरों पर खड़े हो ...

 

 

 

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लेखक

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