भारत माता के सम्मान में मैं
यशगान सदा गुनगुनाता हूं
उत्तर से दक्षिण तक का भारत
हर दिन एक त्यौहार है भारत
रंगों में सतरंगी भारत
हंसता - खेलता भारत माता के लाल मिले
उच्च आदर्शों की दिव्य धरा पर भारत वर्ष का
स्वाभिमान मिला
कश्मीरी केसर मन भाया
उत्तराखंड की दिव्य धरा पर
बहती अमृत गंगा जल धारा
हिम का आंचल प्राकृतिक सौंदर्य
पंजाब के खेतों में उगता सोना
राजस्थान राजवाड़ों की धरती
गुजरात बढ़ाता व्यापार सदा
गंगा सागर सरिताओं का संगम
मन प्रफुल्लित दृश्य विहंगम
केरल में सुख समृद्धि फलती
शान में भारत माता की में
मैं नित-नित शीश झुकाता हूं
विरासत में है हमको मिली
देवों की यह तपस्थली
ऋषि-मुनियों की दिव्य धरा पर
नैतिक शिक्षाओं की धरोहर
पाकर धन्य हो जाता हूं
उच्च विचारों की अनमोल सम्पदा
भारत की विरासत की धरोहर
उत्तर में हिमालय अमरनाथ शिवालय
दक्षिण में गंगा महासगर
शक्ति की भक्ति है करता
उत्तर से दक्षिण तक लेकर भारत माता को है हमने जिया
सब रत्नों को जब एकत्र किया,
परस्पर प्रेम के सूत्र में सब बंधे हुए थे
दिव्य आभूषण बना रहे भारत वर्ष का मान बढा रहे थे
भारतवर्ष की शान में नतमस्तक हो जाता हूं
भारत में जो जन्म हुआ मानों मेरा सौभाग्य हुआ
फले -फूले सुख समृद्धि से सम्पन्न हो भारत ।
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