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ऋषिकेश यात्रा



 ऋषियों की तपस्थली ऋषिकेश भारत का स्वर्ग..  जी हां आपको यकीन  नहीं होगा ..त्रेता युग में पांडवों ने यहीं से अपने स्वर्ग  जाने की यात्रा प्रारम्भ की थी... तो आइये आपको ॠषिकेश के पवित्र स्थलों की यात्रा करवाते हैं ....

गंगोत्रि ... में गौमुख  से प्रवाहित मां भागीरथी अनेक पहाडी स्थलों से होती हुयी .. सर्वप्रथम  मैदानी स्थल ऋषिकेश से ही होकर  हरिद्वार आदि भारत  के अनेक  राज्यों में बहती है ...

सर्वप्रथम  ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट .. कहते .हैं त्रिवेणी घाट पर तीन  नदियों का संगम  होता है ..गंगा .अलकनंदा और सरस्वती इसलिए  इस घाट का नाम  त्रिवेणी घाट  रखा गया ...

त्रिवेणी घाट  की संध्या कालीन  आरती बेहद ही अच्छी होती मन भक्ति के रंग में रंग जाता है ....

त्रिवेणी घाट  आरती का दृश्य....

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भावनाओ का सैलाब  खुशियां भी हैं ...आनन्द मंगल भी है शहनाई भी है ,विदाई भी है  जीवन का चक्र यूं ही चलता रहता है  एक के बाद एक गद्दी सम्भाल रहा है... कोई ना कोई  ,,जीवन चक्र है चलते रहना चाहिए  चलो सब ठीक है ..आना -जाना. जाना-आना सब चलता रहता है  और युगों- युगों तक चलता रहेगा ... भावनाएं समुद्र की लहरों की तरह  उछाले मारती रहती हैं ... जाने क्यों चैन से रहने नहीं देती  पर कभी गहरायी से सोचा यह मन क्या है  ?  भावनाओं का अथाह सैलाब  कहां से आया  मन की अद्भुत  हलचल  ,विस्मित, अचंभित अथाह  गहराई भावनाओं की ....कोई शब्द नहीं निशब्द  यह भावनायें हैं क्या ?...कभी तृप्त  नहीं होतीं .... भावनाओं का गहरा सैलाब है क्या ?  और समस्त जीवन केन्द्रित भी भावों पर है ... एक टीस एक आह ! जो कभी पूर्ण नहीं होने देती जीवन को  खोज करो भावों की मन में उठते विचारों के कोलाहल की  क्यों कभी पूर्णता की स्थिति नहीं होती एक चाह पूरी हुई दूसरी तैयार  ....वो एक अथाह समुद्र की .. खोज है मुझे ...भावों के अथाह अनन्त आकाश की ... उस विशाल ज्वालामुखी के हलचल की ...भावों के जवाहरात की ..जो खट्टे भी हैं मीठे भी  सौन्दर्य से पर

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