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सफलता की ऊंचाइयां

 Hieghts of success 

# SUCCESS # ‌Everyone wants to be successful in his life... and success means different for everyone..... success means satisfaction of mind....
 1... For some one making money is success

2.other one getting a good job for someone is success..

 3.. Achieving some achievement for someone is success...

4:- Every work that gives happiness to the mind, gives satisfaction, is success.

#Success #

#जीतना सीखें ....

जीतना आपका जन्म सिद्ध अधिकार है ... क्यों रोता है मानव.... क्यों अपने भाग्य को कोसता है ....तू स्वयं ही स्वयं का भाग्य निर्माता है..... 

यह मत ‌‌‌‌‌सोच तेरे हिस्से में मुश्किलें‌ ज्यादा हैं .. 

तेरी काबिलियत पर परमात्मा को बहुत ज्यादा यकीन है ..

इसी लिए परमात्मा ने तुझे चुना है .. तू मत कह मेरे‌ हिस्से में ही मुश्किलें ज्यादा हैं ... मान तुझे ‌‌‌‌‌नये रास्ते खोजने हैं ... समाज के लिए प्रेरणा बनकर उभरना है ... 

तरी मुश्किलें परीक्षाओं का दौर है ..  हल निकाल आगे बढ़ ... अपनी शक्तियों को पहचान और रच डाल नया इतिहास  ..

#आप जीतने के लिए बने हैं हारने के लिए नहीं  ... # रोना बंद करें ...

# भाग्य को भी कोसना बंद करें ..... क्योंकि अपने भाग्य निर्माता भी आप खुद ही हैं ...

अपने भाग्य विधाता खुद बने ----- 

प्रयासों की चाबी दिन - प्रतिदिन भरते जाइये... धीरे - धीरे ही सही .. एक दिन आपकी किस्मत की गाड़ी रफ्तार पकड़ेगी .. और ऐसा दौड़ेगी कि कोई चाहकर भी उसे रोक नहीं पायेगा...

 

माना की कभी- कभी परिस्थितियां आपके अनूकूल नहीं होती आप स्वयं को हारा हुआ निराश महसूस करते हैं .... परिस्थितियों के आपके अनूकूल होने का इंतजार एक नये उत्साह एक नयी उम्मीद के साथ कीजिए ....

 

या फिर बीच का रास्ता अपनायें ... जैसे बारिश आने पर छाते का उपयोग करते हैं ... कुछ देर किसी छत के नीचे रुकते हैं .... कभी - कभी किसी - किसी को बारिश में भीगने में भी मज़ा आता है .... बस रूकिये मत ... हार मत मानिए ... हल ढूंढ़ते रहिए ... रास्ते कभी बंद नहीं होते ... कहीं ना कहीं से निकल ही आते हैं ....

 

#क्योंकि कहते भी हैं ना मनके हारे हार है मन के जीते जीत #

 

सारा खेल मन का है ... बाकी तो सब बहाने हैं ....

आप कहेंगे बहाने .... किसी को तैरना ही नहीं आता तो वो नदी पार कैसे करेगा ...  तैरना भी सीखना पड़ सकता है ... जब आप पानी के बहाव के साथ बहने लगेंग  और आपको लगेगा कि अगर अब तैरना नहीं सीखा तो डूब जायेंगे  .. आप प्रयास अवश्य करेंगे क्योंकि जान सबको प्यारी होती है ..  पार करने के लिए डोगीं ..  नाव कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा .... वक्त ,हालात और मुसीबत सब करने को मज़बूर करते हैं ....

 

बाहर तेज आंधी तूफान चल है ... सब कुछ अस्त - व्यस्त हो रहा है तो बताओ ... कोई भी चीज कहीं से उड़ कर कहीं गिर रही है ... पेड़ गिर रहे हैं ... ऐसे में तो बाहर

फिर कोई नहीं उस समय थोड़ा आराम किजीये ...

 

सही बात है .... बातें करना आसान है .... 

लेकिन बात करने से ही बात बनती है ....जब सोचेंगे ही नहीं तो आगे कैसे बढेगें... एक एक कदम ही सही चलना तो शुरू करना पड़ेगा ..... कर्म शीलता...नन्हीं चींटीयों से बड़ा उदाहरण कोई नहीं ....

ऐसे कई उदाहरण हैं .. मैं आपको मेरे मित्र शामू की आप बीती बताती हूं 

श्यामू अपना अलग व्यवसाय करना चाहता था .... क्योंकि अभी तक उसने परिवार वालों को एक साथ एक एक प्रतिष्ठान में एक व्यवसाय करते देखा था ..  उसके लिए थोड़ा मुश्किल था अकेले व्यवसाय करना ... श्यामू ने बचपन से अपने बाप - दादा - चाचा को अपने कपड़े की दुकान पर काम करते देखा था ...और उसे उसी काम की समझ भी थी ...

उसने गली के बीच में एक दुकान किराए पर ले अपना कपड़े का व्यवसाय शुरू किया ... श्यामू कपड़े से जुड़े काम की हर बारीकी जानता था .... बड़े जोर - शोर से शयामू ने कपड़े की दुकान का उद्घाटन किया ..  क्योंकि शामू और उसके परिवार वालों की शहर में अच्छी बनी- बनायी थी ... शुरुआत के कुछ दिन शामू की दुकान पर काम अच्छा रहा ....

पर धीरे - धीरे दिन में मुश्किल से एक या दो ग्राहक ही चढते थे ... श्यामू परेशान होने लगा ..  कभी- कभी तो एक भी ग्राहक नहीं आता ... श्यामू सारा दिन दुकान में बैठे - बैठे ग्राहकों के इंतजार में थक जाता और उदास हो जाता ... अब शामू बहुत ही उदास रहने लगा और ,... नाकारात्मक विचारों से घिरने लगा ....

श्यामू का यही कहना था कि उसे और कोई काम आता नहीं .... पर श्यामू को कुछ तो करना था ... यूं हाथ पर हाथ धरकर तो वो बैठ नहीं सकता था .... 

नाकारात्मक विचारों से घिरे श्यामू के मन में कई बार आत्महत्या के विचार भी आये ,.....

श्यामू ने अपनी तकलीफ़ किसी हमराज से साझा की .... 

उसने उसे मेडीटेशन करने की सलाह दी ..  शुरू - शुरू में सब नाकाम सा लगा ... लेकिन मेडिटेशन से मन में साकारात्मक विचारों का प्रवाह शुरू हो‌ गया .....

शयामू ने अपनी राह बदली .... 

 कपड़े की दुकान बंद कर ... जनरल मर्चेंट की दुकान खोली .... सब कुछ साकारात्मक तरीके से परिवर्तित होने लगा .... इसलिए नहीं की कपड़े के काम में कोई दोष था .. इसलिए की ... कोई भी हो ज्यादातर कपड़े बाजार की बड़ी दुकानों से लेना पसंद करते हैं ... क्योंकि वहां उन्हें बहुत सारी choice मिल जाती है .....और सस्ती चीज मिल जाती है .... जहां तक jeneral merchant का सवाल है ...यह दिन में कई बार कई तरह की उपयोग होने वाली चीजें होती हैं .... जिनकी आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है ...है ....

अतः कभी-कभी बदलाव भी जरूरी है ... लकीर के फकीर बने रहने में कहां की समझदारी है .....

बदलना पड़ता है कभी- कभी हमें अपना रवैया भी बदलना पड़ता है ....

लोग क्या कहेंगे ...हम बदल गये हैं ... वो कहते भी हैं ना कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना .... 

एक बात समझिए .... कहां भी उन्हें ही जाता है जो कुछ करते हैं ... जो कुछ करेंगे ही नहीं उन्हें क्या कहना ... असली बात है आपका कुछ करना .. 

जीवन बहती नदिया के बहाव की तरह बनाइये  . ‌‌.. हमें रूक कर स्वयं को तालाब नहीं बनाना है .... हमें साकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत बहती नदिया के जल की तरह अपने मन को हमेशा नित - नूतन विचारों‌ से भरा रखना है ....

आगे आपसे बात करेंगे ---किसी के भी# हुनर के बारे में ....आप में क्या हुनर है या यूं कहिए ... आपकी दिली खुशी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌आपको किस काम को करने से मन को संतुष्टि मिलती है ..........  

 



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