अपने मालिक स्वयं बने, स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें। परिस्थितियां तो आयेंगी - जायेंगी, हमें अपनी मन की स्थिति को मजबूत बनाना है कि वो किसी भी परिस्थिति में डगमगायें नहीं। अपने मालिक स्वयं बने,क्यों, कहाँ, किसलिए, इसने - उसने, ऐसे-वैसे से ऊपर उठिये... किसी ने क्या कहा, उसने ऐसा क्यो कहा, वो ऐसा क्यों करते हैं... कोई क्या करता है, क्यों करता है,हमें इससे ऊपर उठना है.. कोई कुछ भी करता है, हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.. वो करने वाले के कर्म... वो अपने कर्म से अपना भाग्य लिख रहा है। हम क्यों किसी के कर्म के बारे मे सोच-सोचकर अपना आज खराब करें... हमारे विचार हमारी संपत्ति हैं क्यों इन पर नकारात्मक विचारों का दीमक लगाए चलो कुछ अच्छा सोंचे कुछ अच्छा करें "।💐 👍मेरा मुझ पर विश्वास जरूरी है , मेरे हाथों की लकीरों में मेरी तकदीर सुनहरी है । मौन की भाषा जो समझ जाते है।वो ख़ास होते हैं । क्योंकि ? खामोशियों में ही अक्सर गहरे राज होते है....
सुंदर रचना
ReplyDeleteअभिलाषा जी नमन . विचारणीय विषय है
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 06 सितम्बर 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जी यशोदा जी आभार
Deleteसजग करती सुन्दर रचना...बधाई !!
ReplyDeleteआभार
Deleteचेतावनी सी देती रचना ।।
ReplyDeleteआभार
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