रिमझिम सावन की फुहार आयी
मन मतवाला झूमें चेहरे पर खुशी लहरायी
नींद खुली मन ने ली अंगड़ाई
नयी सुबह की नयी खुशियां आयीं
मन में उत्साह का नया रंग भरा
झूला झूलन की रूत आयी
बिंदिया, कंगना , बिछिया,पायल के
घूघरूं खनकाती सखियां आयीं
चलो सखियों झूला झूलन की रूत आयी
ऊंची - ऊंची पींगें लेंगे नील गगन से कुछ बातें होंगी
बादलों की घुमड़ - घुमड़ में दामिनी भी इतरायी
सावन की ठंडी फुहार आयी मन में
नया उत्साह भर प्रकृति भी सोलह श्रृंगार कर
वसुन्धरा में हरियाली भर - भर अपने जलवे दिखा रही
रिमझिम सावन की फुहार आयी .. वसुन्धरा का करने सोलह श्रृंगार आयी . ..., रिमझिम सावन की फुहार आयी ...
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