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शिवरात्रि- यानि शिव की रात्रि - आत्मा की जागृति की रात्रि -


 ऊं नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय  आज शिवरात्रि का पावन पर्व है ।

शिवरात्रि- यानि शिव की रात्रि -  आत्मा की जागृति की रात्रि - 

ऊं नमः शिवाय :- आत्मा से परमात्मा के मिलन की रात्रि , जिसमें स्वयं के अस्तित्व को स्वाहा कर शिव परमपिता परमात्मा से एकीकार हो जाना होता है । यानि- सच्ची भक्ति तभी सार्थक है जब आप स्वयं को भूल कर स्वयं के तन की भस्म बना तन शव बना देते हैं ‌‌‌‌ अपनी कर्मेंद्रियों को भूल जाते हैं यह सब क्रियाएं मानसिक रूप से करनी है । यह सब क्रियाएं मानसिक रूप से करनी है।

सर्वप्रथम मन मन्दिर में शिव को धारण करें ,घर में ही देवालय बनायें,जब मन मन्दिर में शिव स्थापित हो जायेंगे ,तो तन तो स्वत: ही मन्दिर पहुंच जायेगा ।

परन्तु हम सब पहले तन को देवालय ले  जाते हैं , मन्दिर जाते वक्त मार्ग में इतने मोड़ और रुकावटें आती हैं कि मन का क्या ... मन तो भटक ही जाता है अटक जाता है मार्ग के उतार चढ़ावों

हमारे समाज में सब भेड़ चाल लोग हैं ‌,एक ने किया दूसरे ने किया फिर तो पीढ़ी दर पीढ़ी सब कर रहे हैं ‌,एक ने किया था उसके साथ अच्छा हुआ,तो किसी ने नहीं किया तो उसके साथ बुरा हो गया कुछ भी हुआ क्यों हुआ कारण नहीं पता बस अंधश्रद्धा में डर के सब भाग रहें हैं 

ध्यान लगायें सेवा धर्म अपनायें किसी का बुरा ना सोचें ना करें परोपकार करें ,सत्य बोलें जरूरत मंदो को यथाशक्ति सहयोग करें दान करें ,कण- कम में परमात्मा के दर्शन करें , परमात्मा आप पर सदैव प्रसन्न रहेंगे ।


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