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शक्ति ....

 चमत्कार क्या आप मानते हैं कि आज के युग में भी चमत्कार होते हैं ... जैसे सतयुग में होते थे ....

"अनुभूति तो सबको होती है .. परन्तु जब तक अपनी आंखों से ना देखो या महसूस करो तब तक दिल नहीं मानता "

चमत्कार 

#अद्भुत #

अतुलनीय #

रहस्यमयी शक्तियों को खोजते हुए वो‌ बहुत आगे निकल आया था ...अब लौट कर जाना मुमकिन नहीं था ...

 

रहस्यमयी बातों का आलौकिक खजाना मिल चुका था उसे ..  परन्तु अभी और भी बहुत कुछ खोजना बाकी था ..  

 

*असंभव को संभव कर दिखाने की शक्ति की खोज *

 

या यूं कहिए खोज अभी बाकी थी ..   शक्ति की खोज क्योंकि खोज जितनी बढ़ती जाती थी ... गहराई उतनी बडती जाती थी ... रहस्य खुलते जाते ..  और उत्सुकता बढ़ती जा रही थी  ....

 

अब आगे कौन से रहस्य खुलेंगे

    यह तो  खोजने वाला ही जाने.....…..कहते भी हैं ना जिन खोजा तिन पाइयां 

 

#दिव्यता #

 

#निरंतर एक यात्रा पर रहना संभव है क्या  #- 

पर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं था ...

उसने खोजा था दिव्यता को और भीतर संजो रखा था ...#

#दिव्यता एक तेज ..एक ओज... #

एक यात्रा का प्रारम्भ .. **

भटकता मन 

गंगाराम को लगता था कि.. उसके मित्र .. धनीराम के पास कोई मणि या कोई जादुई चीज है .. जिससे धनीराम के घर में रिद्धि- सिद्धि सब कुछ है ...और जिसकी वजह से वह दिनों - दिन वह तरक्की कर रहा है ....

"धनीराम क्या हुआ धनी     ? 

तुम आज बहुत खुश दिख रहे हो ...

धनीराम यार मेरी तो जिंदगी संवर गयी ... बदल जायेगी अब मेरी किस्मत ... शक्ति ने मेरा प्रणाम स्वीकार किया "#

 

शक्ति ने तुम्हारा प्रणाम स्वीकार किया ... मतलब ?

 

मैं समझा नहीं...  धनी क्या मतलब है तेरा  ? ...

*चमत्कार ...*

 

**शक्ति है वो शक्ति देवी मां की शक्ति कहते हैं अगर कोई दूर से भी उसे हाथ जोड़ दें और वो सिर हिला दे तो समझो उसकी तो जिंदगी बदल गयी .**

 

"साकारात्मक ऊर्जा के दिव्य स्रोत से जब मन होता है ओत- प्रोत सब कष्ट मिट जाते हैं जीवन बढ़ता है नित - नयी ऊंचाइयों की ओर ...."

 

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