Skip to main content

दिल की आवाज़ -2


 ऊंचे -ऊंचे पहाड़, घुमावदार रास्ते , गहरी खाइयां हसीन वादियां *पहाड़ों की रानी मसूरी* | *सिद्धार्थ और नंदनी* की शादी को अभी चार ही दिन हुए थे |
    नई- नई शादी और पहाड़ों की रानी मसूरी की हसीन वादियों में नंदनी और सिद्धार्थ अपने शादीशुदा जीवन की नयी शुरुआत करने और एक दूसरे को‌ अच्छे से समझने को बहुत बेताब थे|  

    नंदनी की इच्छा थी कि वह शादी के बाद हनीमून मनाने पहाड़ों की रानी मसूरी जायें | जबकि सिद्धार्थ सिंगापुर जाना चाहता था |‌‌‌‌लेकिन सिद्धार्थ ने नंदनी की हर बात मानने की शर्त और उसे हर पल खुश रखने की जो ठानी थी,अब मसूरी जाना तो बनता ही था , सिद्धार्थ और नंदनी की आपसी मर्जी से यह तय हुआ था कि वो पहले ‌‌‌‌‌‌पहला हनीमून मसूरी में मनायेंगे | आखिर शादी के बाद पहली बार सिद्धार्थ और नंदनी कुछ दिन के लिए बाहर जा रहे थे| उनकी #जरूरत का सारा सामान# घर के सब| लोगों ने मिलकर गाड़ी में रखवा दिया था*  


घर के सब लोगों का नये शादीशुदा जोड़े ‌को seeof भी करना जरूरी था | सिद्धार्थ सबको देखकर बोला होता है‌---- होता है, शूरू - शूरू ‌में बहुत प्यार लुटाया जाता है , खासकर नयी *बहू ... भाभी*... नंद* चाची * और भी बहुत कुछ ... सिद्धार्थ की भाभी औरररररर--- wife पर ...... थोड़ी चुटकी लेते बहुत सारा प्यार.... भाभी देवर जी ख्याल रखना मेरी देवरानी का .....

भाभी सिद्धार्थ से .... तुम्हारा ड्राइवर नहीं आया अभी तक .....


    सिद्धार्थ ...‌अपनी भाभी से ..... नहीं भाभी ड्राइवर को नहीं बोला ....गाड़ी मैं ही चलाऊंगा √  भाभी \  इतना लम्बा रास्ता है ,और तुम अकेले गाड़ी चला कर ले जाओगे थक जाओगे....... अच्छा जी भाभी चुटकी लेते हुए अकेले - अकेले मजे करना चाहते हो |  

 

तभी पीछे खड़े -सिद्धार्थ के भैय्या बोले‌  # He is young man ..... भाभी सिद्धार्थ से:-  अच्छा ध्यान से और Slow speed में चलाना गाड़ी ,और मोड़ों पर भी ध्यान रखना ....और मैंने गाड़ी में एक बैग रखा है जिसमें चूरन की गोलियां, चूरन और भी खाने- पीने का सामान रखा है .....नंदनी तुम भी ले‌ लेना और सिद्धार्थ को भी खिला देना .......नंदनी जी ठीक है भाभी  .... 

 

 .... ..तभी पीछे से सिद्धार्थ की छोटी बहन प्रियंका जोर B.S.C. first year ki student थी जोर से ***  सिद्धार्थ भैय्या & भाभी अरे.. अरे,प्रियंका भागते- भागते.... Mai gate se .. नीचे दो सीढियां जल्दी -जल्दी उतरते हुए ,बस गिरते- गिरते बची ....# अरे पगली अभी यहीं हैं हम ,हम तेरा ही इंतजार कर रहे थे ___ सिद्धार्थ ,नंदनी से हे ना_ नंदनी मैं अभी नंदनी से यही कह रहा था , प्रियंका कहां रह गयी ***** प्रियंका __ अपने याद किया और मैं आ गयी --- 


     सिद्धार्थ __ ज्यादा जल्द बाजी ना किया कर अभी तुम गिर जाती और तुम्हारी टांग की हड्डी टूट जाती तो .....हमें तुम्हें Hospital ले जाना पड़ता •••• और हमें और लेट हो जाती मसूरी के लिए निकलने में••••• सिद्धार्थ और प्रियंका में ऐसी नोंक- झोंक वाली बातें होती रहती थीं ....
प्रियंका , सिद्धार्थ भैय्या आप भी ना ,देखो भाभी कितना चिढ़ाते हैं मुझे :: 


सिद्धार्थ:- अच्छा मेरी प्यारी छोटी बहना you are very cute 🥰you are very sweet 🌹💐। 

 

नंदनी' ___  Ok brother ,अब बटर लगाना बंद करो मैं और मोटी हो जाऊंगी ****
सिद्धार्थ:- बहना क्या?  मोटी अभी और मोटी नहीं भई नहीं और मोटी नहीं होना ****‌चल ठीक है चलते हैं हम ......  नंदनी 


      Happy & Safe journey , भैय्या take care ..... और मेरे लिए कोई गिफ्ट जरुर लेकर आना ,...भाभी सिद्धार्थ भैय्या भूल जायें तो आप याद दिला देना मेरा गिफ्ट और अपने लिए भी बहुत सारे गिफ्ट लेना.......__ सब लोग पीछे से हंसने लगे***** तभी भाभी  बोली ... चलो अब इन्हें जानें दो मसूरी पहुंचते- पहुंचते अंधेरा हो जायेगा ****

 

     सिद्धार्थ गाड़ी चला रहा था| नंदनी और सिद्धार्थ दोनों ने अपने- अपने घर वालों के बारे में एक दूसरे से बहुत बातें कर लीं थीं , कौन कैसा है किसकी क्या आदत अच्छी और बुरी है *****
सिद्धार्थ:- हम मुजफ्फरनगर भी पहुंच गये और हमें पता भी नहीं चला -----‌चलो नंदनी अब थोड़ी भूख भी लग गई है बस थोड़ी दूर पर Cheetal grand है , वहां पहुंच कर कुछ refreshment लेते हैं ‌।
नंदनी मेरा तो मन अजीब सा हो रहा है मैं तो बस freshlime soda लूंगी |
सिद्धार्थ :- अरे क्या ,हुआ सब ठीक तो है | नंदनी हां बस गाड़ी में ज्यादा लम्बा सफर करने पर ऐसा हो जाता है‌।
सिद्धार्थ:-  मैडम अभी तो और लम्बा सफर है और ऊपर से मसूरी के घुमावदार रास्ते क्या होगा तुम्हारा ......../ नंदनी- जब तुम साथ होंगे तो सब ठीक होगा 

गाड़ी धीरे -धीरे ऊंचाईयों की तरफ बढ़ रही थी | गाड़ी में pendrive से गाने चल रहे थे ...आज ब्लू है पानी -पानी ‌‌ सिद्धार्थ मस्ती में गाड़ी चलाते - चलाते भटकने लगा|  नंदनी अरे सिद्धार्थ यह क्या कर रहे हो | # ध्यान से गाड़ी  चलाओ आगे देखो गहरी खाई है  | सिद्धार्थ जोर के ब्रेक मारते हुए अरे- अरे बाल- बाल बचे |  


नंदनी : सिद्धार्थ तुम गाड़ी आराम से चलाओ / वरना ?  सिद्धार्थ वरना क्या?

 
नंदनी ::: मैं गाड़ी से उतर जाऊंगी | 

 

सिद्धार्थ ----- हाहा हाहा , गाड़ी से उतरकर पैदल आओगी -

 

----नंदनी नहीं यहीं बैठकर तपस्या करूंगी कि मेरे पति को कुछ समझाओ ......

   सिद्धार्थ ,अरे बेबी चलो sorry  वो तो मैं मजाक कर रहा था | नंदनी ऐसे मज़ाक अच्छे नहीं होते जिससे किसी की जान निकल जाये / इतने आगे से आती हुयी गाड़ी का हार्न गाड़ी को साइड देता हुआ।


Comments

Popular posts from this blog

अपने मालिक स्वयं बने

अपने मालिक स्वयं बने, स्वयं को प्रसन्न रखना, हमारी स्वयं की जिम्मेदारी है..किसी भी परिस्थिति को अपने ऊपर हावी ना होने दें।  परिस्थितियां तो आयेंगी - जायेंगी, हमें अपनी मन की स्थिति को मजबूत बनाना है कि वो किसी भी परिस्थिति में डगमगायें नहीं।  अपने मालिक स्वयं बने,क्यों, कहाँ, किसलिए, इसने - उसने, ऐसे-वैसे से ऊपर उठिये...  किसी ने क्या कहा, उसने ऐसा क्यो कहा, वो ऐसा क्यों करते हैं...  कोई क्या करता है, क्यों करता है,हमें इससे ऊपर उठना है..  कोई कुछ भी करता है, हमें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.. वो करने वाले के कर्म... वो अपने कर्म से अपना भाग्य लिख रहा है।  हम क्यों किसी के कर्म के बारे मे सोच-सोचकर अपना आज खराब करें...  हमारे विचार हमारी संपत्ति हैं क्यों इन पर नकारात्मक विचारों का  दीमक लगाए चलो कुछ अच्छा  सोंचे  कुछ अच्छा करें "।💐 👍मेरा मुझ पर विश्वास जरूरी है , मेरे हाथों की लकीरों में मेरी तकदीर सुनहरी है । मौन की भाषा जो समझ   जाते है।वो ख़ास होते हैं ।  क्योंकि ?  खामोशियों में ही अक्सर   गहरे राज होते है....

ध्यान योग साधना

  ध्यान योग का महत्व... ध्यान योग साधना साधारण बात नहीं... इसका महत्व वही जान सकता है.. जो ध्यान योग में बैठता है।  वाह! "आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी" आप धन्य है... आप इस देश,समाज,के प्रेरणास्रोत हैं।  आप का ध्यान योग साधना को महत्व देना, समस्त देशवासियों के लिए एक संदेश है... की ध्यान योग का जीवन में क्या महत्व है। ध्यान योग साधना में कुछ तो विशिष्टता अवश्य होगी...वरना इतने बड़ देश को चलाने वाले प्रधानमंत्री के पास इतनी व्यस्तता के बावजूद इतना समय कहां से आयेगा कि वह सब काम छोड़ ध्यान में बैठे।  यथार्थ यह की ध्यान योग साधना बहुत उच्च कोटी की साधना है... दुनियां के सारे जप-तप के आगे अगर आपने मन को साधकर यानि मन इंद्रियों की की सारी कामनाओं से ऊपर उठकर मन को दिव्य शक्ति परमात्मा में में लगा लिया तो.. आपको परमात्मा से दिव्य शक्तियां प्राप्त होने लगेगी। लेकिन इसके लिए आपको कुछ समय के लिए संसार से मन हटाकर.. ध्यान साधना में बैठना होगा... एक बार परमात्मा में ध्यान लग गया और आपको दिव्य अनुभव होने लगें तो आप स्वयं समय निकालेगें ध्यान साधना के लिये।  आप सोचिए अग...

लेखक

  जब आप अपनी अभिव्यक्ति या कुछ लिखकर समाज के समक्ष लाते हैं, तो आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप समाज के समक्ष बेहतरीन साकारात्मक विचारों को लिखकर परोसे,   जिससे समाज गुमराह होने से बचे..प्रकृति पर लिखें, वीर रस लिखें, सौंदर्य लिखें, प्रेरणादायक लिखें, क्रांति पर लिखें ___यथार्थ समाजिक लिखें  कभी - कभी समाजिक परिस्थितियां भयावह, दर्दनाक होती---बहुत सिरहन उठती हैं.... क्यों आखिर क्यों ? इतनी हैवानियत, इतनी राक्षसवृत्ति.. दिल कराहता है.. हैवानियत को लिखकर परोस देते हैं हम - - समाज को आईना भी दिखाना होता... किन्तु मात्र दर्द या हैवानियत और हिंसा ही लिखते रहें अच्छी बात नहीं..   लिखकर समाज को विचार परोसे जाते हैं.. विचारों में साकारात्मकता होनी भी आवश्यक है।  प्रेम अभिव्यक्ति पर भी लिखें प्रेम लिखने में कोई बुराई नहीं क्योंकि प्रेम से ही रचता-बसता संसार है.. प्रेम मन का सौन्दर्य है, क्यों कहे सब व्यर्थ है, प्रेम ही जीवन अर्थ है प्रेम से संसार है, प्रेम ही व्यवहार है प्रेम ही सद्भावना, प्रेम ही अराधना प्रेम ही जीवन आधार है.. प्रेम में देह नहीं, प्रेम एक जज्बात...