चल आ अपना-अपना
किरदार निभाते हैं
औरों के लिए जीने की
वज़ह बन जाते हैं
चल आ किसी की खुशी की
वजह बन जाते हैं
किरदार में अपने असम्भव को
सम्भव करके दिखाते हैं।
रंगमंच में, संसार के
मनुष्य के किरदार की भूमिका
उम्र के दौर तक
भावों के चक्रव्यूह में
उतार- चढ़ाव में विचारों के
गोते खाती, लहरों से सम्भल कर
जो निकलती, तो ही सफल तैराक बनती
प्रेम, हास्य,रूदन, ईर्ष्या,
आदि भावों की गुथी
उलझती- सुलझती जीवन की
गाड़ी हर हाल में चलती
दुनियां के रंगमंच में
मनुष्य तेरे किरदार की भूमिका
हर हाल में निभती
आशा के दीप से उम्मीद की ज्योति
जब जलती रंगमंच में तेरे किरदार की
भूमिका सदा- सदा यादगार बन
अमर हो जाती ।
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