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जेब खर्च


 आज फिर जेब खर्च की खनक ने ली अंगड़ाई है 

 सारे जहां की दौलत जेब  खर्च  में समायी है 

 मन की उमंगों ने की दौङ लगाई है 

किसी ने मेहनताना तो, किसी ने नेक कमाया है 

 चेहरे पर  खुशियों की चमक रंग लाई  है 

 मानों खरीद  लेगें सारा जहां 

सारा आसमान ही सिर पर उठाया है

जेब खर्च का सरुर जो मन में छाया है 

 मन में बेफिक्र सा गरुर है 

गरुर में अपनत्व  का एहसास  है 

मेहनताने में से बांटा जो जेब खर्च है उसमें में 

अपनेपन का एहसास है देकर खुशियां वो भी मुस्कराया 

दोनों का दिल भर - भर आया है 

जिसने जेब खर्च दिया है ,वही तो अपना खास है 

मेरे चेहरे की रौनक  देख वो सूकून  पाता है 

मुझे मुस्काते देख वो मन ही मन हर्षाता है 

जेब खर्च तो बहाना है ,वो मुझे और मैं उसे 

खुशियों रहने के देते बहाने  हैं  .

वो मेरा अपना है यही मेरा सबसे बङा खजाना है  ..

जेब खर्च  किसी अपने का दिया हुआ सबसे बङा तोहफा  है 

उसी में तो छिपा सारे जहां के प्यार भरा अफसाना  है ..

मेहनत से कमाया हुआ धन आत्मविश्वास का गुरूर  है ..

मेहनत का सरुर है .


Comments

  1. बहुत ख़ूब ! खुश है ज़माना, आज पहली तारीख़ है.

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 02 मई 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. नमस्कार यशोदा जी ..मेरे द्वारा लिखी रचना को पांच लिंकों के आनन्द में स्थान देने के लिए

    ReplyDelete
  4. वाह! बहुत खूब!

    ReplyDelete

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