एक रथ के चार पहिये
सबको चालक के इशारे
पर चलना ही.पढता है
एक पहिया अगर ना चले
अपनी.मनमानी करे तो सब
कुछ अव्यवस्थित हो जाता है
दुर्घटना अवश्य भावी होगी
फिर नुकसान किसी एक का नहीं
सभी का होगा
इसी तरह अगर आप चाहते हैं कि
आपकी गाङी सुचारू चले तो एक जुट होकर रहिए
किसी भी चलने वाली आगे बढने वाली
चीज का पारुप संगठन है अति उत्तम है
चालक की चतुरता स्थिति को देखते हुए
वाहन की गति सम्भावना
एक विशाल वृक्ष का अस्तित्व भी संगठन से ही सम्बंधित हैं
जङों का बङा समूह.विशाल काय तना
उस पर अनगिनत शाखाएं मिलकर ही
वृक्ष कहलाती हैं परिवार भी एकजुटता में ही निहित है
अगर. आप चाहते हो आपके जीवन के रथ के परिवार की
रफ्तार सुचारू रहे तो समय- समय पर निरीक्षण कीजिये
तभी आप तरक्की की उन्नति की ऊंचाइयों पर पहुंच सकते हैं .
पहिये की रफ्तार चालक ही संभालता है
अपने चालक पर विश्वास रखिये
जो चालक बना है वो अपने रथ के
पहिये कभी डगमगाने नहीं देगा
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