" मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "
"मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "
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मेरी जड़ों से मेरी खूबसूरती है
मेरे माली का ,शुक्रिया जिसनें
मेरे बीजों को पौष्टिक खाद दी,
मुझे जल से सींचा, सूर्य ने मेरे तेज
को बढ़ाया ।
मैं जो आज बाग़ बगीचों में
कहीं किसी की क्यारियोँ में
घरों के आँगन की खूबसूरती
बड़ा रहा हूँ ,कि मेरी जड़ों ने मुझे
सम्भाल रखा है ।वरना मैं तो
कब का बिखर गया होता ।
मेरे स्वभाव में एक आकर्षण है
जो सभी को अपनी और आकर्षित
कर लेता हूँ । मेरी कई प्रजातियाँ हैं
मेरा हर रंग ,हर रूप सहज ही
आकर्षक है ।
मेरी महक पवन संग-मिल कर
वातावरण महकाती है,मुझसे
प्राण वायु भी है ।
मुझसे इत्र भी बनाई जाती है
मैं प्रेम प्यार का प्रतीक हूँ ।
मित्रता आपसी भाईचारे में भी
प्रेम की डोर बाँधने के लिये
मैं सम्मानित होता हूँ ।
ख़ुशी हो या ग़म मैं हर स्थान पर
उपयोग होता हूँ ।
अपनी छोटी सी जिन्दगी में
मैं किसी ना किसी काम आ जाता हूँ
सार्थक है जीवन मेरा , जो मैं
किसी रूप मे काम तो आ जाता हूँ ।
मैं प्रकृति की अनमोल देन ...
" मै पुष्प हूँ , "
अपनी छोटी सी पर
सार्थक जिंदगी से मैं खुश हूँ ।
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मेरी जड़ों से मेरी खूबसूरती है
मेरे माली का ,शुक्रिया जिसनें
मेरे बीजों को पौष्टिक खाद दी,
मुझे जल से सींचा, सूर्य ने मेरे तेज
को बढ़ाया ।
मैं जो आज बाग़ बगीचों में
कहीं किसी की क्यारियोँ में
घरों के आँगन की खूबसूरती
बड़ा रहा हूँ ,कि मेरी जड़ों ने मुझे
सम्भाल रखा है ।वरना मैं तो
कब का बिखर गया होता ।
मेरे स्वभाव में एक आकर्षण है
जो सभी को अपनी और आकर्षित
कर लेता हूँ । मेरी कई प्रजातियाँ हैं
मेरा हर रंग ,हर रूप सहज ही
आकर्षक है ।
मेरी महक पवन संग-मिल कर
वातावरण महकाती है,मुझसे
प्राण वायु भी है ।
मुझसे इत्र भी बनाई जाती है
मैं प्रेम प्यार का प्रतीक हूँ ।
मित्रता आपसी भाईचारे में भी
प्रेम की डोर बाँधने के लिये
मैं सम्मानित होता हूँ ।
ख़ुशी हो या ग़म मैं हर स्थान पर
उपयोग होता हूँ ।
अपनी छोटी सी जिन्दगी में
मैं किसी ना किसी काम आ जाता हूँ
सार्थक है जीवन मेरा , जो मैं
किसी रूप मे काम तो आ जाता हूँ ।
मैं प्रकृति की अनमोल देन ...
" मै पुष्प हूँ , "
अपनी छोटी सी पर
सार्थक जिंदगी से मैं खुश हूँ ।
वाह ! पुष्प ही है जो कि जीते जी ही नहीं, बल्कि मर कर भी सुगंध छोड़ जाता है.
ReplyDeleteआभार
Deleteवाह!बेहतरीन सृजन ।
ReplyDeleteशुभा जी आपका आभार
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