Skip to main content

मेरी जङों ने मुझे समभाल रखा है


 

" मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "

            "मेरी जड़ों ने मुझे सम्भाल रखा है "
                        ******
     *        *********************
     मेरी जड़ों से मेरी खूबसूरती है
     मेरे माली का ,शुक्रिया जिसनें
     मेरे बीजों को पौष्टिक खाद दी,
     मुझे जल से सींचा, सूर्य ने मेरे तेज
     को बढ़ाया ।
   
     मैं जो आज बाग़ बगीचों में
     कहीं किसी की क्यारियोँ में
     घरों के आँगन की खूबसूरती
     बड़ा रहा हूँ ,कि मेरी जड़ों ने मुझे
     सम्भाल रखा है ।वरना  मैं तो
     कब का बिखर गया होता ।
     
   

     मेरे स्वभाव में एक आकर्षण है
     जो सभी को अपनी और आकर्षित
     कर लेता हूँ । मेरी कई प्रजातियाँ हैं
     मेरा हर रंग ,हर रूप सहज ही
     आकर्षक है ।

     मेरी महक पवन संग-मिल कर
     वातावरण महकाती है,मुझसे
     प्राण वायु भी है ।
     मुझसे इत्र भी बनाई जाती है
     मैं प्रेम प्यार का  प्रतीक हूँ ।
     मित्रता आपसी भाईचारे में भी
     प्रेम की डोर बाँधने के लिये
     मैं सम्मानित होता हूँ ।

     ख़ुशी हो या ग़म मैं हर स्थान पर
     उपयोग होता हूँ ।

     अपनी छोटी सी जिन्दगी में
     मैं किसी ना किसी काम आ जाता हूँ
     सार्थक है जीवन मेरा , जो मैं
     किसी रूप मे काम तो आ जाता हूँ ।
     मैं प्रकृति की अनमोल देन ...

         " मै पुष्प हूँ ,   "

     अपनी छोटी सी पर
     सार्थक जिंदगी से मैं खुश हूँ ।
   
     

Comments

  1. वाह ! पुष्प ही है जो कि जीते जी ही नहीं, बल्कि मर कर भी सुगंध छोड़ जाता है.

    ReplyDelete
  2. वाह!बेहतरीन सृजन ।

    ReplyDelete
  3. शुभा जी आपका आभार

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

प्रेम जगत की रीत है

 निसर्ग के लावण्य पर, व्योम की मंत्रमुग्धता श्रृंगार रस से पूरित ,अम्बर और धरा  दिवाकर की रश्मियां और तारामंडल की प्रभा  धरा के श्रृंगार में समृद्ध मंजरी सहज चारूता प्रेम जगत की रीत है, प्रेम मधुर संगीत है  सात सुरों के राग पर प्रेम गाता गीत है प्रेम के अमृत कलश से सृष्टि का निर्माण हुआ  श्रृंगार के दिव्य रस से प्रकृति ने अद्भूत रुप धरा भाव भीतर जगत में प्रेम का अमृत भरा प्रेम से सृष्टि रची है, प्रेम से जग चल रहा प्रेम बिन कल्पना ना,सृष्टि के संचार की  प्रेम ने हमको रचा है, प्रेम में हैं सब यहां  प्रेम की हम सब हैं मूरत प्रेम में हम सब पले  प्रेम के व्यवहार से, जगत रोशन हो रहा प्रेम के सागर में गागर भर-भर जगत है चल रहा प्रेम के रुप अनेक,प्रेम में श्रृंगार का  महत्व है सबसे बड़ा - श्रृंगार ही सौन्दर्य है -  सौन्दर्य पर हर कोई फिदा - - नयन कमल,  मचलती झील, अधर गुलाब अमृत रस बरसे  उलझती जुल्फें, मानों काली घटायें, पतली करघनी  मानों विचरती हों अप्सराएँ...  उफ्फ यह अदायें दिल को रिझायें  प्रेम का ना अंत है प्रेम तो अन...

पल-पल

पल-पल बीत रहा है हर पल  घड़ी की सुईयों की कट-टक  इंतजार में हूं उस बेहतरीन पल के  जिसमें खुशियाँ देगीं दस्तक - -    एक पल ने कहा रुक जा, ऐ पल,  उस पल ने कहा कैसे रुक जाऊं  अब आयेगा  दूसरा पल।  जिस पल में जीवन की सुंदरता का हो एहसास  बस वही है प्यारा पल।   ऐ पल तू ठहर जा, पल में बन जायेगा तू अगला पल, जाने कैसा होगा अगला पल,आज का पल है  बेहतरीन पल, जी भर जी लूं यह पल, कह रहा है मन चंचल-चपल । पल की  कीमत पल ही जाने,  बीत जाने पर हो जाना है हर पल बीता कल।  पल -पल कीमती है, प्रयासों की मचा दो हलचल, जाने कब गुजर जाये यह पल, बन जाये अगला पल।   हर पल को बना दो, बेहतरीन पल फिर लौटकर नहीं आयेगा यह पल।  पल की कीमत पल ही जाने, नहीं ठहरता कोई भी पल,बन जाता है अगला पल। पल -पल बीत रहा है, कह रहे हो जिसे अगला पल उस पल में निकाल लेना जरूरी प्रश्नों के हल।    यह पल भी होगा कल, फिर अगला पल  समय नहीं लगेगा, हर पल को बीतते।  वर्तमान पल को बना दो स्वर्णिम पल  कल का पता नहीं, कब हो जाये फिर अगला ...

भव्य भारत

 भारत वर्ष की विजय पताका सभ्यता संस्कृति.               की अद्भुत गाथा ।       भारतवर्ष देश हमारा ... भा से भाता र से रमणीय त से तन्मय हो जाता,       जब-जब भारत के गुणगान मैं गाता । देश हमारा नाम है भारत,यहां बसती है उच्च       संस्कृति की विरासत । वेद,उपनिषद,सांख्यशास्त्र, अर्थशास्त्र के विद्वान।           ज्ञाता । देश मेरे भारत का है दिव्यता से प्राचीनतम नाता । हिन्दुस्तान देश हमारा सोने की चिङिया कहलाता।  भा से भव्य,र से रमणीय त से तन्मय भारत का।             स्वर्णिम इतिहास बताता । सरल स्वभाव मीठी वाणी .आध्यात्मिकता के गूंजते शंखनाद यहां ,अनेकता में एकता का प्रतीक  भारत मेरा देश विश्व विधाता । विभिन्न रंगों के मोती हैं,फिर भी माला अपनी एक है । मेरे देश का अद्भुत वर्णन ,मेरी भारत माँ का मस्तक हिमालय के ताज सुशोभित । सरिताओं में बहता अमृत यहाँ,,जड़ी -बूटियों संजिवनियों का आलय। प्रकृति के अद्भुत श्रृंगार से सुशोभित ...