सारी कायनात का मालिक है तेरा
क्यों दर ब दर भटकता है
जो उसका है वो तेरा है
क्यों उससे जुदा होकर
फकीरों सी ज़िन्दगी बसर करता है
दुनियां में सबसे अमीर हो जायेगा
है , क्यों बूंद बनकर बरसता है
माना की गुलाब पर मोती बनकर चमकता है
धूप में भाप से अपना अस्तित्व पल में खत्म करता है
क्यों दर ब दर भटकता है समुन्दर तेरा अस्तित्व
सारा आकाश ही तेरा है तेरा वजूद चांद - तारों से रोशन हुआ करता है ।
Comments
Post a Comment